Nov 17, 2010

राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की स्थिति का पता लगाने के लिए निरीक्षणकर्ता के लिए कुछ उपयोगी बातें

मेरे कई हिंदी अधिकारी मित्रों ने मुझसे पूछा है कि उन्हें अपने अधीनस्थ कार्यालयों के राजभाषा सम्बन्धी निरीक्षणों के समय क्या करना चाहिए? मैं उनके लिए कुछ साधारण से नुक्ते बताना चाहता था मगर इसी चिंतन के दौरान मैं अपने कभी न पूरे हो सकने वाले अधूरे शोध प्रबंध तक जा पहुंचा।   मैंने वर्ष 1996 में अपना शोध कार्य सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन  पर शुरू किया था जो कभी भी पूरा नहीं हो सका।


उक्त शोध कार्य के आधार पर मैंने अब एक पुस्तक लिखने का मन बनाया है। यहाँ मैं उस पुस्तक के विभिन्न अध्यायों के विषयों पर आधारित कुछ बातें उन मित्रों के लिए दे रहा हूँ जो राजभाषा संबंधी निरीक्षण का कार्य करते हैं। वे चाहे किसी भी स्तर पर राजभाषा निरीक्षण कर रहे हों, कार्यान्वयन कार्यालय के पदाधिकारी हों या फिर किसी मंत्रालय / प्रधान कार्यालय / मुख्यालय अथवा किसी आंचलिक/क्षेत्रीय  कार्यालय के हिंदी/ राजभाषा  अधिकारी; उन्हें इन बातों पर विचार करने पर कुछ न कुछ सहायता अवश्य मिलेगी तथा उनके निरीक्षणों में और अधिक गंभीरता परिलक्षित होगी।
(यहाँ दिए गए विचार एक भारतीय नागरिक के रूप में पूरी तरह मेरे निजी निष्कर्षों पर आधारित हैं।)  

राजभाषा हिन्दी/ नीति के कार्यान्वयन की स्थिति के निरीक्षण से पूर्व निरीक्षण कर्ता द्वारा आत्मावलोकन।
किसका निरीक्षण -
निरीक्षण केंद्रीय सरकार के उन कार्यालयों का किया जाता है जो राजभाषा नियम 1976 के नियम 2(ख) की परिभाषा की परिधि में आते हैं।

निरीक्षण किस मूल भावना के आधार पर-
राजभाषा नीति के मौलिक सिद्धांतों प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं सद्भावना की समझ आवश्यक है।

निरीक्षण कर्ता को क्या तैयारी करनी चाहिए-
कम से कम अनुच्छेद 343 तथा 351 की जानकारी होनी चाहिए।

राष्ट्रपति के 1952 से अब तक जारी विभिन्न आदेशों का ज्ञान ।

राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा - 3 (i से v तक) का गहन अध्ययन।

'हिन्दी के अतिरिक्त अँग्रेजी का प्रयोग' न कि 'हिन्दी के स्थान पर अँग्रेजी का प्रयोग'।

'हिन्दी और अंगेजी दोनों का प्रयोग' न कि 'अँग्रेजी और हिन्दी दोनों का प्रयोग'।

राजभाषा नियम 1976 के नियम-2 की परिभाषाओं का तार्किक अध्ययन करें।

राजभाषा नियम-3(3) का तार्किक अध्ययन बहुत आवश्यक है।

राजभाषा नियम-5 और हिन्दी पत्राचार के अंतर की समझ।

राजभाषा नियम-7 और हिन्दी में हस्ताक्षरित पत्रों के अंतर का ज्ञान।

पत्राचार का सूत्र

पत्राचार = कुल प्रेषित दस्तावेज़ – [हिन्दी में प्राप्त पत्रों के उत्तर + धारा 3(3) के तहत जारी दस्तावेज़ + ‘ग’ क्षेत्र में स्थित राज्य सरकारों, उनके कार्यालयों तथा व्यक्तियों को नियम 3(3)के तहत भेजे गए पत्र]

कुल प्रेषित दस्तावेज़ = डाक, फेक्स, ईमेल, कूरियर आदि से प्रेषित सभी दस्तावेज़।

डाक व्यय का रिकार्ड प्रेषण अनुभाग में उपलब्ध होता है। उक्त डाक व्यय से आनुपातिक गणना के द्वारा कुल पत्राचार के आकड़ों की प्रामाणिकता का अनुमान लगाया जा सकता है। कुल पत्राचार कुल डाक व्यय से आनुपातिक  गणना से आंकलित पत्राचार से कभी भी कम नहीं हो सकता।

राजभाषा नियम 1(ख) के परिप्रेक्ष्य में नियम 6 और राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के कार्यान्वयन का विश्लेषणात्मक अध्ययन।

तमिलनाडु राज्य पर राजभाषा नियमों का विस्तार क्यों नहीं है तथा 17 जुलाई 1976 के दिन तमिलनाडु राज्य के राष्ट्रपति शासन के अधीन होने की जानकारी [31 जनवरी 1976 से 30 जून 1977 तक तमिलनाडु में राष्ट्रपति शासन लागू था तथा यह आपातकाल (25 -06 -1975 से 21 -03 -1977  तक )  का दौर था]
हिन्दी के कार्यसाधक ज्ञान तथा हिन्दी में प्रवीणता से अभिप्राय: एवं नियम 10 के तहत अधिसूचना।

राजभाषा नियम 11 का ज्ञान और संसदीय राजभाषा समिति की सिफ़ारिशों पर जारी राष्ट्रपति के आदेश विशेषकर चतुर्थ खंड दिनांक 25 जनवरी 1992 के आदेशों की मद संख्या 12 एवं 13.

राजभाषा संकल्प 1968 के तहत जारी चालू वित्तीय वर्ष के वार्षिक कार्यक्रम में विभिन्न मदों के लिए निर्धारित लक्ष्यों एवं लक्ष्यों के सही अभिप्राय: का एहसास।

हिन्दी के प्रगामी प्रयोग से संबन्धित तिमाही प्रगति रिपोर्ट के दोनों भागों की प्रत्येक मद का विश्लेषणपरक अध्ययन।

बैंकों के संदर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राजभाषा नीति के संदर्भ में समय-समय पर जारी आदेश एवं दिशानिर्देश।

'सामान्य आदेश' की परिभाषा का सही ज्ञान।

राजभाषा विभाग के आदेशों की अद्यतन जानकारी।

सांख्यिकीय विश्लेषण की क्षमता एवं कंप्यूटर की समझ ।

व्यवहारकुशलता एवं प्रशासनिक प्रक्रियाओं एवं कामकाज की जानकारी।

क्या बिना हिन्दी में नोटिंग एवं डिक्टेशन के हिन्दी में पत्राचार संभव है?

पत्र, परिपत्र एवं आवरण पत्र के अंतर को समझने व समझाने की क्षमता।

क्या मात्र हिन्दी में हस्ताक्षर कर देने से अँग्रेजी पत्र, हिन्दी का पत्र हो जाता है?

क्या मात्र द्विभाषी पत्र शीर्ष पर तैयार कर देने से अँग्रेजी पत्र, हिन्दी का पत्र कहा जा सकता है?

क्या मात्र 'महोदय' एवं 'भवदीय' लिख देने से अँग्रेजी पत्र, हिन्दी का पत्र हो जाता है?

उपर्युक्त तीनों प्रकार के पत्र यदि हिन्दी पत्र हो जाते हैं तो ऐसे पत्र पाने वाले कार्यालयों द्वारा इन्हें नियम 5 के तहत हिन्दी पत्र क्यों नहीं माना जाता?

सभी कार्यालय 80-90 प्रतिशत हिन्दी में पत्राचार करने का दावा करते हैं मगर ये हिंदी पत्र आखिर कहीं भी पहुँचते क्यों नहीं हैं? क्या वजह है कि कोई भी कार्यालय 10-20 प्रतिशत पत्र भी हिन्दी में प्राप्त होने का दावा नहीं कर पाता?

तिमाही प्रगति रिपोर्टों में धारा 3(3) के दस्तावेज़ 'शून्य' दिखाया जाना क्या अपने आप में रिपोर्ट के सही न होने का दस्तावेजी प्रमाण नहीं है?

क्या कोई कार्यालय जिसमें 80 प्रतिशत कर्मचारी हिन्दी का ज्ञान नहीं रखते, जिसके 90 प्रतिशत हिन्दी टाइपिस्ट और आशुलिपिक हिन्दी का ज्ञान नहीं रखते, 80 प्रतिशत पत्राचार हिन्दी में कर सकता है? यदि हाँ तो क्या यह इस बात का प्रमाण नहीं है कि अँग्रेजी जानने वाले स्टाफ की कार्यक्षमता हिन्दी में कार्य करने वालों की तुलना में मात्र 20 प्रतिशत है?

सभी बातों का सार -
क्या राष्ट्रपति की ओर से कार्य करने वाले वेतनभोगी अधिकारी या कर्मचारी को राष्ट्रपति के आदेशों का अनुपालन न करने का अधिकार है?

तमिलनाडु के संदर्भ में कुछ विशेष-

राजभाषा नियम 1976, नियम-1 (ख) में कहा गया है कि-“ इनका विस्तार, तमिलनाडु राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है।“

यदि राजभाषा नियमों का विस्तार तमिलनाडु राज्य तथा यहाँ स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों पर जिनका उल्लेख राजभाषा अधिनियम की धारा 3 में किया गया है, नहीं है तो क्या निम्नलिखित विषयों पर शोध की आवश्यकता नहीं है-

1. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए राजभाषा अधिनियम की धारा 8 के तहत क्या व्यवस्था की गई है?

2. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों की परिभाषा क्या है?

3. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों को क, ख, ग अथवा अन्य किस क्षेत्र में स्थित माना जाए?

4. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों के लिए निर्धारित लक्ष्य क्या हैं?

5. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों पर राजभाषा अधिनियम लागू है मगर इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए शासकीय व्यवस्था क्या है?

6. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों के राजभाषा संबंधी निरीक्षण के लिए निर्धारित मानदंड क्या हैं?

7. तमिलनाडु में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों द्वारा हिन्दी में किए जा रहे उत्कृष्ट कामकाज को प्रोत्साहित किए जाने हेतु पुरस्कार के लिए क्या मानदंड निर्धारित किए जाने चाहिए?

माननीय संसदीय राजभाषा समिति का गठन राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 4 के तहत किया गया है न कि राजभाषा नियमों के तहत तथा वार्षिक कार्यक्रम जारी किए जाने की व्यवस्था राजभाषा नियम 1976 पारित किए जाने से बहुत पहले राजभाषा संकल्प 1968 के तहत की गई थी। वार्षिक कार्यक्रम के लक्ष्य मात्र राजभाषा नियमों की परिधि तक सीमित नहीं है क्योंकि कोई भी प्रावधान अनुच्छेद 343 तथा राजभाषा अधिनियम की धारा 3 के उपबन्धों से असंगत नहीं होने चाहिए।

उल्लेखनीय है कि राजभाषा अधिनियम 1963 के अंतर्गत किए गए प्रावधान मात्र केंद्रीय सरकार के कार्यालयों तक सीमित नहीं हैं बल्कि संघ के विभिन्न राज्यों के लिए भी विभिन्न धाराओं में प्रावधान किए गए हैं। जम्मू एवं काश्मीर पर धारा 6 एवं 7 के लागू न होने का प्रावधान धारा 9 में किया गया है। शेष सम्पूर्ण भारत पर यानी अन्य सभी राज्यों पर अधिनियम की धारा 6 एवं 7 भी लागू हैं।

व्यक्तिगत रूप से मेरा यह मानना है कि -

1. नियम-1 (ख) का वास्तविक अभिप्राय: निम्नवत हो  सकता है-

“इनका विस्तार, तमिलनाडु राज्य की राज्य सरकार, उसके कार्यालयों तथा व्यक्तियों के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है।“


क्योंकि राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3, उपधारा(4) में कहा गया है कि “ उपधारा(1) या उपधारा (2) या उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि केन्द्रीय सरकार धारा 8 के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा उस भाषा या उन भाषाओं का उपबन्ध कर सकेगी..”।

2. माननीय संसदीय राजभाषा समिति, राजभाषा अधिनियम 1963 के विभिन्न राज्यों पर लागू प्रावधानों के संदर्भ में भी निरीक्षण का अधिकार रखती है।

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