Sep 5, 2014

जाइए आप कहाँ जाएंगे, हिन्दी फिर लौट के छा जाएगी :: गूगल का ऑनलाइन हिन्दी श्रुतलेखन और वह भी बिलकुल मुफ्त :: अब तो दिल से हिन्दी दिवस मनाइए और हो सके तो सच्चे मन से मुस्कुराइए

कॉन कहता हे कि आसमान मेँ सुराख नहीँ हो सकता कॉन कहता हे कि आसमान मेँ सुराख नहीँ हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो दोस्तो यह आश्चर्य जनक बात हे की जो काम हम करने के बारे मेँ सिर्फ सोचते रहे उसे गूगल ने कर डाला हे हिंदी मेँ बोलिए सिर्फ मेरे लिए हिंदी मे सिर्फ बोलते चले जाइए एक माइक्रो फोन लगाइए गूगल ट्रांसलेट न जाइए स्रोत भाषा हिंदी ० एक माइक्रोफोन एकॉन आपको दिखाई देगा उस माइक्रोफोन एकॉन को क्लिक कीजिए ओर गूगल ट्रांसलेट को माइक्रोफोन इस्तेमाल करने की अनुमति दीजिए ओर बस डिक्टेशन शुरु कीजिए आपको जो भी बोलना हे बोलते चले जाइए गूगल ट्रांसलेट का यह लेख खान सॉफ्टवेयर यह गूगल ट्रांसलेट की हसरत लेकर सुविधा आपके द्वारा बोली गई हिंदी को दनादन टाइप करती चली जाती हे ये सुविधा निशुल्क हे आपको सिर्फ ब्लड बंक कनेक्शन चाहिए broadband कनेक्शन इंटरनेट का ब्रांड बेंड कनेक्शन चाहिए अगर आपके पास गार्डन कनेक्शन हे तो फिर आप हिंदी टाइपिस्ट या हिंदी आशुलिपिक के बारे मेँ सोचना छोड़ दीजिए मुझे नहीँ लगता हे की कोई भी हिंदी टाइपिस्ट या हिंदी आशुलिपिक इतना अच्छा डिक्टेशन हिंदी का ले सकता हे ये सब मेँ आपके सामने १ नाईट लगाकर बोल रहा हूँ नई एकमत लगाकर यह सब बोल रहा हूँ ओर पहली बार बलराम आप देख सकते हेँ कि पहली बार बोलने पर भी सॉफ्टवेयर कितने कमाल का लिखते सुन रहा हे ओर मेरी गति भी बहुत धीमी नहीँ हे मेँ काफी तेजी से बोल रहा हूँ ओर प्रतिमिनट मुझे लगता हे कि इससे ज्यादा शब्द मेँ बोल रहा हूँ ओरिया सॉफ्टवेयर लगातार बिना किसी संकोच के दनादन टाइपकर्ता जा रहा हे इससे ज्यादा ओर आपको क्या चाहिए स्क्रीनशॉट्स आप देख सकते हेँ ओर इस सुविधा का लाभ उठाकर हिंदी के महीने मेँ हिंदी दिवस हिंदी सप्ताह ऑफ हिंदी पखवारा मनाने की सिर्फ ओपचारिकता से बाहर आकर कुछ नया करने की कोशिश करेँ मित्रोँ जब हमारे पास तकनीकी बाधाएँ नाम की चीज ही नहीँ बची हे तो फिर मन को थोडा बदल लिए मन को हिंदी मेँ क्या कीजिए हिंदी मे माँ को आना चाहिए हिंदी में अपने मन को डुबो डालिए एक बार आपके मन हिंदी से जुड़ गया तो फिर सारी चीजेँ सत्ता होती चली जाए मुझे उम्मीद हे कि आप सॉफ्टवेयर का सही से प्रयोग करेंगे मेँ बिना किसी संशोधनके यह टेक्स यह पाठ आपके सामने रख रहा हूँ आपको केसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरुर दीजिए बहुत बहुत धंयवाद
आपका
अजय मलिक


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