Jul 18, 2014

एण्ड्रोयड फोन पर कुछ और हिंदी-हिन्दी हो जाए -

आइए मुफ्त में हिंदी-हिंदी हो जाए
अपना फोन निकालिए और शुरू हो जाइए

अरे बाबा हिन्दी ही तो है
लिंक क्लिक तो कीजिए
डाउनलोड़िए, इंस्टालिए
और बस
शुरू हो जाइए  -





एण्ड्रोयड फोन पर हिन्दी की पढ़ाई, हिंदी व्याकरण और हिन्दी के लिए और भी बहुत कुछ

थक गया हूँ

थक गया हूँ
मन में अब
कोई ललक
बाकी नहीं है
आदमी को
जानने की
कोशिशों से
छक गया हूँ
तन में अब
कोई कसक

बाकी नहीं है 

- अजय मलिक (c)

::::: राजभाषा विभाग की वेबसाइट का नए युग में प्रवेश :::::: हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है


Jul 12, 2014

एक उम्मीदवार का साक्षात्कार -

एक उम्मीदवार का साक्षात्कार -
प्रश्न : आपने ज़िन्दगी में कोई बड़ा काम किया है?
उम्मीदवार : अजी बड़े काम तो इतने किए हैं कि आप पूछिए मत। मैंने तो सारे ही काम बड़े किए है।
प्रश्न : कोई एक काम बताइए ?
उम्मीदवार: वैसे तो साब मैंने सारे ही काम बड़े किए हैं पर आप सिर्फ़ एक पूछ रहे हैं तो एक ही बता देता हूँ - छठी क्लास में मैं लगातार तीन साल तक माॅनीटर रहा था।
प्रश्न: आपको हिंदी आती है?
उम्मीदवार: साब हिन्दी तो ऐसी आती है कि बस पूछिए मत।
प्रश्न : अच्छा यह बताइए कि "चलती चाखी देख के दिया कबीरा रोय" का मतलब क्या है।
उम्मीदवार: साब ये तो कोई भी बता देगा। चाखी चल रही थी और कबीर का हाथ चाखी में आ गया और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। जब उसका हाथ चाखी से निकाला तो वो लुहुलुहान था। कबीर रोते हुए बोला-देखो इन दो पाटो के बीच कुछ भी बाक़ी नहीं बचता।
प्रश्न : आपको उर्दू आती है?
उम्मीदवार: अजी साब उर्दू तो ऐसी आवे है कि ग़ालिब को भी न आवे।
प्रश्न : अच्छा "नीम- हकीम ख़तरा-ए-जान" का मतलब बताइए!
उम्मीदवार: अरे साब इसका मतलब है कि ओ मूर्ख हकीम, तू नीम के नीचे मत बैठ, तेरी जान को ख़तरा है।
प्रश्न : आपको अंग्रेज़ी आती है?
उम्मीदवार: साब, इंग्लिश तो ऐसी आवे है कि सारे अंग्रेज़ भाग जाए। आप सवाल पूछो..
प्रश्न ः अच्छा "फोर्टीफिकेशन" का मतलब बताओ?
उम्मीदवार: साब आप चालाक बन रहे हो। इंग्लिश और मैथ मिक्स करके पूछ रहे हो! कोई बात नहीं साब, मैं भी कोई कम चालाक नहीं हू।
फोर्टीफिकेशन वो होता है जिसमें ट्वेंटीफिकेशन में ट्वेंटीफिकेशन को जोड़ देते हैं।
प्रश्न ः आप कब से ड्यूटी पर आना चाहते हैं?
उम्मीदवार: साब, देखो जी आप मेरी बाट मत देखियो, मैं तो बस आपको आज़माने चला आया था नौकरी मेरे बस की बात नहीं है।

-
अजय (c) शर्मा जी से हुई वार्ता पर आधारित 

सोम के जन्मदिन पर मेरी 70 अधूरी कविताएं

(1)
जब तन मन से
बरसी बदली
बिजली चमकी
गरजी कड़की 
कुछ पल को धरा
अचम्भित सी
पुलकित परवश
किंचित काँपी 
थिरकी थमकर
थककर ठहरी
फिर सँभल गई

-
अजय (c)

(2)
हाँ, टूटना
अंतिम क्रिया है
पर टूटने तक पहुँचना 
टूटने के योग्य बनना
टूटने तक ख़ूब हँसना
बस यही 
जीवन हमारा

खेलना और 
खिलखिलाना
दिलों की 
दीवानगी का
राज बनना
लपलपाती 
कौंधती कोई
आग बनना

Jul 7, 2014

हिंदी के नाम पर खड़खड़ाती दीवारों के परे

इस ब्लॉग को बड़ी उम्मीदों के साथ सृजित करने की कोशिश की थी। पहले यही विचार था कि रोज कम से कम एक चिट्ठा इस पर चश्पा किया जाएगा और यह क्रम कभी नहीं टूटेगा। पर ऐसा क्रम बनने से पहले ही बिखरने लगा। फिर भी कोशिश जारी रखी कि रोज न सही तीन दिन में या फिर सप्ताह में एक चिट्ठा जरूर पोस्ट करेंगे मगर अब अंतराल लगभग तीन माह का हो गया। अगर खानापूर्ति के लिए डाली गई पोस्ट को छोड़ दिया जाए तो शायद पिछले छह माह में कोई गंभीर चर्चा हिंदी सबके लिए पर नहीं की जा सकी। कारण बहुत सारे गिनाए जा सकते हैं मगर सबसे प्रमुख है उस विश्वास का पूरी तरह टूट जाना जो देश की भाग्य विधाता बड़ी-बड़ी सस्थाओं पर था। मार्च 2014 में  हुई एक घटना ने सब कुछ इतना अविश्वसनीय बना दिया कि फिर किसी भी संस्था पर विश्वास करने का मन नहीं हुआ। अपनी पुरानी प्रकृति के अनुरूप चुनौती देने का मन भी हुआ मगर फिर निष्कर्ष यही निकाला कि मुर्दे को चुनौती का कोई प्रतिफल नहीं हो सकता । ज़िंदों से लड़ा जा सकता है, सुधारा जा सकता है मगर मुर्दों को कुछ नहीं किया जा सकता।
 
हिंदी के नाम पर जिसे भी देखा - दंतहीन, पोपले मुंह वाला पाया। ऐसे मुँह से सिर्फ पतला-पतला सा हलुआ ही खाया जा सकता है। हिंदी और हलुआ ... बस मन भर गया। हिंदी के लिए हरेक निर्णय हिंदी न जानने वाला करता है, हिंदी जानने वाला सिर्फ हलुआ बना सकता है। हिंदी न जानने वाला हिंदी के शोध प्रबंध तक बिना पढे ही समझ लेता है और हलुआ खाकर मस्त हो जाता है। हिंदी के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें कर हिंदी को लघु से लघुतर तक पहुंचाने के लिए दिन रात अँग्रेजी की ताल पर गाल बजाए जाते हैं, गोलबंदी की जाती है। हिन्दी के नाम पर जो दीवारें दिखाई देती हैं वे टीन की जंग लगी चादरें हैं जो अँग्रेजी के महल में चल रहे नए-नए शयन कक्षों के निर्माण कार्य से उठने वाली धूल और आवाजों को बेपरदा होने से रोकने के लिए अस्थायी रूप से लगाई गईं हैं। अंदर चल रहा पुख्ता और गगन चुंबी निर्माण कार्य नई-नई तकनीकों से लैस है और जब थोड़ी सी भी हवा चलती है तो टीन की पुरानी चादरें हिलने लगती हैं और उनसे खड़खड़ाहट उठने लगती है।