Dec 4, 2013

...और अब आवाज से अनुवाद निशुल्क

यह जानकारी आज बस दो घंटे पहले एक विशेष कंप्यूटर कार्यक्रम के लिए आए मित्र ने दी है। गूगल के इस एंडरोइड मोबाइल उपकरण Voice Translator Free के जरिए अङ्ग्रेज़ी से हिन्दी, तमिल, कन्नड, तेलुगू , मराठी , गुजराती , बांग्ला  और उर्दू ऑनलाइन अनुवाद किया जा सकता है। यहाँ तक की मोबाइल कैमरे से स्कैन कर अङ्ग्रेज़ी पाठ को भी अनुवाद किया जा सकता है। यह उपकरण स्पीच टू टेक्स की निशुल्क सुविधा देता है और अङ्ग्रेज़ी में किसी भी अंदाज में बोले गए पाठ को अङ्ग्रेज़ी रोमन में शतप्रतिशत शुद्धता के साथ टाइप करता है और फिर अनेक विदेशी भाषाओं सहित उपर्युक्त भारतीय भाषाओं में तत्काल अनुवाद करता है।
यह उपकरण उन अधिकारियों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो अँग्रेजी में डिक्टेशन देने के अभ्यस्त हैं मगर हिंदी नहीं जानते हैं या फिर हिंदी आशुलिपिक उन्हें उपलब्ध नहीं हैं। यह उपकरण संबन्धित भाषा में बोले गए पाठ और अनुदित पाठ को सस्वर पढ़ता भी है।


डाउन लोड के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें -
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.smartmobilesoftware.voicetranslatorfree

-अजय मलिक

Nov 22, 2013

तेरे मारने से


अगर तुझे लगता है

कि तेरे मारने से

मैं मर जाऊंगा

तो तुझे पहले

उस भगवान को

मारना होगा

जिसे तू

मानता ही नहीं है

क्योंकि मेरी मौत

तेरे हाथों में

तभी आ सकती है

जब तू भगवान को

मारकर

उसकी जगह भी

हथिया ले  

और इसके लिए

तुझे भगवान को

न सिर्फ

मानना होगा

बल्कि जानना भी होगा

इतनी समझ

और सामर्थ्य

तुझमें नहीं है

मैं ये अच्छी तरह

जानता हूँ  
 
फिर तेरे मारने से
 
........................?

-अजय मलिक (c)

Nov 10, 2013

बंदूकों में बाक़ी है क्या एक भी गोली बाबू जी

(पेश है गुरुवर डॉ कुँवर बेचैन की एक गजल )

प्यासे होठों से जब कोई झील न बोली बाबू जी
हमने अपने ही आँसू से आँख भिगो ली बाबू जी

फिर कोई काला सपना था पलकों के दरवाजों पर
हमने यूं ही डर के मारे आँख न खोली बाबू जी

भूले से भी तीर चला मत देना ऐसे कंधों पर
जिन कंधों पर, हो अंधे माँ-बाप की डोली बाबू जी

यह मत पूछो इस दुनिया ने कौन से अब त्योहार दिये
दी हमको अंधी दीवाली, खून की होली बाबू जी

दिन निकले ही मेहनत के घर हाथ जो हमने भेजे थे
वो ही खाली लेकर लौटे शाम को झोली बाबू जी

हम पर कितने ज़ुल्म हुए हैं कौन बताए दुनिया को
बंदूकों में बाक़ी है क्या एक भी गोली बाबू जी

वो भी अपनी आँखों में नाखून ही लेकर बैठे थे
दिखने में जिनकी सूरत थी बहुत ही भोली बाबू जी

ये कह-कहकर कल हमको सारी खुशियाँ मिल जाएंगीं
करते रहते हो क्यों हमसे रोज़ ठिठोली बाबू जी

उसमें कुछ टूटे सपने थे, कुछ आहें ,कुछ आँसू थे
जब-जब भी हमने ये अपनी जेब टटोली बाबू जी

अबकी बार तो राखी पर भी दे न सकी कुछ भैया को
अब उसके सूने माथे पर सिर्फ है रोली बाबू जी

-कुँअर बेचैन-

(कुँअर बेचैन के 'आंधियो धीरे चलो' नामक संग्रह से)"


फेस बुक से साभार

Nov 2, 2013

सभी को दिवाली की शुभकामनाएँ

 

Oct 30, 2013

भारत के 44वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव 2013 :: गोवा :: भारतीय पेनोरमा खंड

 
भारत के 44वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव, 2013 के भारतीय पेनोरमा खंड के लिए 26 कथा फिल्में तथा 16 गैर फीचर फिल्मों का चयन किया गया है। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और संपादक श्री बी लेनिन के नेतृत्व में 210 योग्य प्रविष्टियों में से नौ सदस्यीय जूरी ने 21 दिन में अंतिम 25 फिल्मों का चयन किया। निर्देशक श्री तिगमांशु धूलिया की हिंदी कथा फिल्म पान सिंह तोमर का चुनाव 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्काररों में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीतने के कारण सीधे किया गया। इसे मिलाकर कुल 26 कथाफ़िल्मों का प्रदर्शन 20 से 30 नवंबर, 2013 तक गोवा में सम्पन्न होने वाले अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में किया जाएगा। कथा फिल्मों में मलयालम की सर्वाधिक 6, हिन्दी और बांग्ला की 5-5, मराठी की 3, तमिल, कोंकणी, कन्नड, ओड़िया, मीसिंग की की 1-1 तथा 2 द्विभाषी फिल्में क्रमश: अँग्रेजी/ हिन्दी एवं अँग्रेजी/ कोंकणी की हैं। हिन्दी कथाफ़िल्मों में पानसिंह तोमर के अलावा, ओह माई गॉड, भाग मिल्खा भाग, लिस्टेन अमाया, और जल हैं।  
श्री राजा सेन की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय जूरी ने 130 गैर कथा फिल्मों में से 15 फिल्मों को चुना तथा 60 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ गैर कथा फिल्म का पुरस्कार जीतने वाली राजा शब्बीर खान निर्देशित शैपार्ड्स ऑफ पैराडाइज़” को 16वीं फिल्म के रूप में सीधे प्रवेश मिला। इस वर्ग में चयनित फिल्मों में सर्वाधिक 5 फिल्में हिन्दी की हैं। शेष में मलयालम और अँग्रेजी की 3-3, मराठी और कश्मीरी भाषा की 2-2 और कुदुख की 1 फिल्म हैं
-अजय मलिक

Oct 25, 2013

विंडोज़ 8 के लिए आईएमई / इंडिक इनपुट 3

अभी तक विंडोज़ 8 में हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं में काम करने के लिए अलग से केवल माइक्रोसॉफ़्ट इंडिक लैड्ग्वेज इनपुट टूल का प्रयोग किया जा रहा था। पुराने विंडोज़ के लिए भाषाइंडिया पर उपलब्ध आईएमई/ इंडिक इनपुट 1 या 2 की तरह कोई अन्य उपकरण उपलब्ध नहीं था। अब भाषाइंडिया डॉट कॉम पर विंडोज़ 8 के लिए आईएमई / इंडिक इनपुट 3 उपलब्ध करा दिया गया है। विंडोज़ विस्ता तथा विंडोज़ 7 के 32 बिट व 64 बिट संस्करणों के लिए अलग-अलग उपलब्ध आईएमई की तरह विंडोज़ 8 के लिए आईएमई/इंडिक इनपुट 3 के भी दो संस्करण हैं जो क्रमश: विंडोज़ 8, 32 बिट व विंडोज़ 8, 64 बिट के लिए हैं। इंडिक इनपुट  3 या आईएमई 3 में हिंदी ट्रांस्लिटिरेशन तथा हिंदी  रेमिंग्टन केवल 2 ही कुंजीपटल/ की-बोर्ड हैं। 


Sep 30, 2013

इनसे शिकायत करूँ भी तो कैसे ?


इनसे शिकायत

करूँ भी तो कैसे

ये मेरे नहीं हैं

न हैं मेरे जैसे

इनसे शिकायत

करूँ भी तो कैसे

- अजय मलिक

देखो वो दुनिया बदलने चले हैं


बहुत इतराते हैं

अपनी चतुराई पर

बहुत खुश होते हैं

हर इक बुराई पर

वो बदचलनी से  

दुनिया बदलने चले हैं

देखो वो दुनिया

बदलने चले हैं

-अजय मलिक

आओ जमकर झूठ बोलें


आओ

जमकर

झूठ बोलें

और जब तक

वह सच न लगे

तब तक

बोलते रहें

जब ये शरीर

नश्वर ही है

तो फिर

मरने तक

जितना हो सके

आओ

जमकर झूठ बोलें

-अजय मलिक


 

यहाँ हर सुबह रात आई है...


यहाँ हर सुबह

रात आई है

कालिख भरे

उजाले ने

अँधेरे की

इज्जत बचाई है

न हाथों में

राखी बंधवाई है

न माथे पर

बिंदी लगवाई है 

फिर भी

बस नाम के

उजाले ने

अपने भाई की

खातिर

आठों पहर

अंधेरे की

सलामती की

कसम खाई है

खुद पर

खुद ही कितनी 

कालिख लगाई है 

- अजय मलिक (c)

Sep 18, 2013

उनकी कोई जाति नहीं है

दरिंदगी का शिकार
कौन है?
जो भी दलित है

दलित कौन है?
जो भी है
दरिंदगी का शिकार

शिकार और शिकारी कौन हैं ?
जो भी हैं
आदमी हैं
उनकी कोई जाति नहीं है

जो जाति की बात करता है

दरिंदा है ।  

-अजय मलिक (c)

Sep 14, 2013

मैं हिंदी हूँ


आओ हिंदी दिवस मनाएँ

आओ हिंदी दिवस मनाएँ
आओ हिंदी को अपनाएं
हिंदी से दफ्तर चमकाएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ

 
भेजें चिट्ठी या अनुमान
हिंदी में हों सारे काम
जग भर में हिंदी फैलाएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ

 
आज्ञा, टिप्पण या आलेख
हिंदी में हों सब अभिलेख
हिंदी का परचम लहराएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ


हिंदी में ईमेल करें  हम
सारे जग से मेल करें हम
हिंदी को अभिमान बनाएँ  
आओ हिंदी दिवस मनाएँ

 
हिंदी में पैगाम लिखेंगे
हिंदी में ही नाम लिखेंगे
आओ इसकी कसम उठाएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ


 - अजय मलिक (c)