Mar 31, 2011

चार से भी ज्यादा चाँद हैं यहाँ ... राजभाषा विभाग की वेबसाइट का कायाकल्प और नया वार्षिक कार्यक्रम

राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की वेबसाईट ने आज एक नए युग में प्रवेश किया है। सब कुछ इतना प्रीतिकर, सुखद, आकर्षक और उपयोगी है कि इसे कायाकल्प कहने में कोई संकोच नहीं है। राजभाषा हिन्दी से संबन्धित जो भी चाहिए मुखपृष्ठ से एक क्लिक करने भर से पाया जा सकत है। वेबसाईट के हर कोण से राजभाषा के रूप में हिंदी का रूतबा साफ़ नज़र आता है.

राष्ट्रपति जी के आदेश हों या राजभाषा भारती के अंक...इस वर्ष के क्षेत्रीय सम्मेलन हों या पिछले कई वर्षों के सम्मेलन...फोटो गैलरी हो या वार्षिक कार्यक्रम वगैरा सभी कुछ मौजूद है और पूरी बेबाकी के साथ।

-और सबसे बड़ी बात मुखपृष्ठ पर ही हिंदी के अनगिनत सितारों के साथ, चार नहीं पूरे पांच चमकते चाँद भी अपनी भरपूर चाँदनी के साथ मौजूद हैं - भारतेंदु हरिश्चंद, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, महात्मा गांधी और महावीर प्रसाद द्विवेदी ...

वर्ष 2011-12 का वार्षिक कार्यक्रम भी आज जारी कर दिया गया है। इस वार्षिक कार्यक्रम में सभी मदों के लक्ष्य बेहद व्यवस्थित और तार्किक रूप में निर्धारित किए गए हैं। हिंदी में डिक्टेशन के लक्ष्य क, ख, और ग क्षेत्र के लिए क्रमश: 65, 55 और 30 प्रतिशत निर्धारित किए गए हैं ताकि उपर्युक्त क्षेत्रों के लिए निर्धारित हिंदी पत्राचार के 75 से 100 , 75 से 90 और 55 प्रतिशत लक्ष्यों को प्राप्त करने में आसानी हो।

इसी प्रकार हिंदी पुस्तकों की खरीद के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक संभावनाएं सृजित करते हुए सभी प्रकार के हिंदी / इंडिक सॉफ्टवेयर, सी डी, डी वी डी यहाँ तक कि पैन ड्राइव्स तक के लिए छूट दी गई है।

शत-प्रतिशत हिंदी में कार्य करने के लिए विनिर्दिष्ट किए जाने वाले अनुभागों के मामले में बेहद सहजता के साथ समस्या समाधान करते हुए नए वित्तीय वर्ष के लिए क, ख, ग क्षेत्र के कार्यालयों के लिए क्रमश: 40, 30 तथा 20 प्रतिशत अनुभागों को समस्त कार्य हिन्दी में करने का लक्ष्य रखा गया है। जिन कार्यालयों में कोई अनुभाग नहीं हैं वहाँ क्षेत्रवार कार्यालय के संपूर्ण कार्य का 40 , 30 तथा 20 प्रतिशत कार्य हिंदी में करने का लक्ष्य रखा गया है।

इतने व्यवस्थित और व्यवहारिक प्रयासों में राजभाषा विभाग की माननीय सचिव जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में जिन वरिष्ठ अधिकारियों एवं कार्मिकों ने अथक परिश्रम किया है वे सभी बधाई के पात्र हैं।

निशुल्क पाइए, लीला प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पाठ्यक्रमों की सी डी !!

सूचना अधिकार अधिनियम 2005  के तहत सी डेक से प्राप्त जानकारी के अनुसार लीला प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पाठ्यक्रमों की सी डी'ज़ अब निशुल्क मिल सकेंगी!!  सी डेक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार  राजभाषा विभाग अथवा केन्द्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान से लिखित अनुरोध किए जाने पर उपर्युक्त पाठ्यक्रमों की सी डी'ज़ निशुल्क प्राप्त हो सकेंगी !! 

Mar 20, 2011

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ

Mar 13, 2011

सुनामी को सर्वनाशी या महाविनाशी कहना चाहिए!!

जापान में भूकंप और सुनामी से जो कुछ हुआ है उसकी कल्पना से भी डर लगता है. सागर का संहार देखकर आदमी को अपने अस्तित्व का एहसास करना होगा और प्रकृति की परम सत्ता को स्वीकारना होगा. हमारा विज्ञान प्रकृति या ब्रह्मांड की विशालता के समक्ष अज्ञान भर है. बस इतना जरूर सोचना चाहिए कि क्या हिंदी में सुनामी को कुछ और नहीं कहा जा सकता? सु से अच्छे का बोध होता है, प्रलयंकारी सुनामी को 'अच्छे नाम वाली'  तो नहीं ही कहा जाना चाहिए.

सुनामी को सर्वनाशी, महाविनाशी, कुनामी अथवा क्रूरनामी कहने में क्या हर्ज़ है!!

Mar 2, 2011

दो वर्ष तक होती है पोस्टल ऑर्डर की वैधता।

एक जमाने में पोस्टल ऑर्डर पर मुद्रित होता था कि इसकी वैधता जारी किए जाने की तिथि से छह माह तक है। आजकल ऐसा कोई निर्देश पोस्टल ऑर्डर पर मुद्रित नहीं होता। डाक विभाग का इंटरनेट पर उपलब्ध मैन्युअल अपने मूल रूप में है और उसमें भी यही दर्ज़ है कि पोस्टल ऑर्डर की वैधता मात्र छह माह तक है तथा अतिरिक्त कमीशन देने पर इसे जारी किए जाने की तारीख से एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।    
वास्तविकता यह है कि डाक विभाग द्वारा दिनांक: 25-09-1995 को जारी डी.ओ.नं. 15-6/88-पी ओ द्वारा भारतीय पोस्टल ऑर्डर की वैधता जारी किए जाने की तिथि से दो वर्ष तक की जा चुकी है। दो वर्ष की अवधि के बाद अतिरिक्त कमीशन के डाक टिकट पोस्टल ऑर्डर के पीछे लगाए जाने पर यह तीसरे वर्ष के लिए भी वैध हो जाता है।