Aug 31, 2009

मेरे गुरु...3

स्वर्गीय डॉ0 उदय नारायण तिवारी
-अजय मलिक
वर्ष १९८३: एक सनक सवार हुई थी यह जानने की कि भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई ? एम. ए. कर चुका था और काम-धाम कुछ मिला नहीं था। दुनियादारी का अता -पता तक नहीं था। दिल्ली पब्लिक लायब्रेरी के दो- तीन दोस्तों के कार्ड लिए हुए थे और जो भी मिल जाए पढ़ डालने की धुन सवार थी । चाहे जो हो जाए पर इस बात का पक्का इरादा बनाया हुआ था कि भाषा की उत्पत्ति का पता लगाए बिना चैन से पानी भी नहीं पीना है। एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के जॉब के लिए रोजगार दफ्तर के मार्फ़त बुलावा आया ।
वहाँ पूछा गया -"कैसे बेचेंगे हमारी दवाइयाँ ?"
अपना उत्तर भी लाज़वाब था -" दवा की सारी अच्छाइयाँ और खामियाँ बताएंगे।"
उन्होंने कहा -"जाइए, चले जाइए।"
हमने भी वापस अपना झोला संभाल लिया और फ़िर से भाषा की उत्पत्ति की खोज शुरू हो गई ।
एक जगह गए और मिन्नत की कि इस विषय के डॉक्टर बनवा दीजिए ...हमारे गाइड बन जाइए या फ़िर हमें किसी भी तरह का शिष्य बना लीजिए। उन्होंने कहा-" नौकरी करते हो ?" नकारात्मक उत्तर मिलने पर उन्होंने कहा-"बिना नौकरी के पी एच डी कैसे कर पाओगे?"
वहाँ से वापस आकर फ़िर किताबों से हाथापाई शुरू कर दी। इसी दौरान भाषा विज्ञान पर मैक्समूलर की कुछ मोटी-मोटी पुस्तकें हाथ लगीं। अब मैक्समूलर ने हिंदी में कब लिखा? इस पर आप मत जाइए । मैं भी हम से मैं पर आ जाता हूँ। उन पुस्तकों का अनुवाद किया था डॉ उदय नारायण तिवारी जी ने । मैंने उन्हीं पुस्तकों से उनका जबलपुर विश्वविद्यालय का पता लिया और जिन मुद्दों पर मेरी नासमझी में असहमति थी उनपर लंबा चौड़ा पत्र लिख मारा।
करीब दो सप्ताह बाद एक पोस्टकार्ड मिला "6 अलोपी बाग़ , दारागंज , इलाहाबाद से।" इतनी सुंदर लिखावट की ख़ुद की गंदी लिखावट पर बेहद शर्म आई। सबसे पहले ठीक उसी दिन अपनी लिखावट पर ध्यान देना शुरू किया और सफलता भी पाई। पोस्टकार्ड में संक्षेप में बहुत कुछ लिखा गया था। एक तो यही कि जबलपु विश्वविद्यालय के कुलपति के पद से वे लगभग बारह वर्ष पूर्व सेवानिवृत हो चुके थे। दूसरा जो अनमोल आर्शीवाद था "तुम्हारी प्रगति कोई रोक नहीं सकता।"
नई दिल्ली में विश्व हिंदी सम्मलेन के दौरान भी उन्होंने मिलने के लिए बुलाया किंतु वे दो दिन पहले ही किसी कारण वश लौट गए। चिट्ठी-पत्री जारी रही । फ़िर प्रताप ट्रेक्टर्स लिमिटेड से एक नौकरी के टेस्ट का बुलावा आया। हाथरस से चाचा ने रेलगाड़ी में लखनऊ के लिए बिठा दिया । वहाँ से बस पकड़कर जाने कहाँ-कहाँ होकर प्रताप गढ़ पहुंचा। वहाँ जो होना था हुआ। लौटते समय सोचा क्यों न इलाहाबाद भी देख लिया जाए।
इलाहाबाद बस अड्डे से एक रिक्शा लिया और अलोपी बाग़ जा पहुँचा । उनकी आयु अस्सी से ऊपर थी । खाना बनाकर निपटे ही थे। उनकी अस्वस्थ पत्नी किसी और के हाथ का बना नहीं खाती थीं। उनके बिस्तर पर नई पुस्तकों -पत्रिकाओं का ढेर लगा था । दो रूपए मुझे थमाकर बोले-
ज़रा बाहर हलवाई की दुकान से कुछ ले आओ।
मैंने कहा- मगर रुपयों की क्या ज़रूरत है।
-जरुरत क्यों नहीं है ??
मैं डेढ़ रूपए के बेसन के लड्डू ले आया। उन्होंने एक गिलास पानी लाकर दिया। उन्होंने समझाया -" भाषा की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए कई जन्म लेने पड़ सकते हैं , कोई ऐसा विषय चुनो जो इसी जन्म में पूरा हो जाए।" गाइड के लिए उन्होंने डॉ भोलानाथ तिवारी जी तथा डॉ जे सी राय जी के नाम सुझाए।
मैंने कहा -पर मैं तो नौकरी-वोंकरी नहीं करता ...
मुझे इतने बड़े लोग अपना शिष्य स्वीकारेंगे भला!!
बोले- "दोनों हमारे शिष्य हैं ।"
उन्होंने लिखा और स्वीकारा भी गया... मगर मैं ही इस योग्य साबित नहीं हो सका। धीरे-धीरे भाषा की उत्पत्ति का नशा उतर गया। आज भी उनके तीन पत्र मेरे पास अमूल्य निधि की तरह हैं।
ऐसे गुरुवर को प्रणाम।

पसंदीदा गायकों,शायरों, गीतकारों, संगीतकारों के गीत पढ़िए -

मुकेश,
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(gr8lyrics. com के सौजन्य से )

लेकिन रोमन लिपि से देवनागरी में कैसे आएगा ??

यही तो समस्या है...
अरे भाई , थोडी सी लिखने की प्रेक्टिस (अभ्यास) करने में क्या जाता है!!
-नहीं करनी ...
सब कुछ पका-पकाया चाहिए..
-है ना ??
अब जैसे अमानुष फ़िल्म का गाना रोमन में है -

gam ki dava to pyar hai gam ki dava sharaab nahi
thukaraao na hamara pyaar itne to ham kharab nahi
gam ki dava to ...
jata hai jo jaane do aata hai vo aane do
beeti baatein beet gayi nayi bahaaren aane do
bagiya mein phool hazaaron hain ek hi to gulaab nahi
gam ki dava to ...
ghaav jiya ke bhar denge toota dil ham jodenge
ban ke rahenge saathi ham saath kabhi na chhodenge
ab koi tumko sata sake itni kisi mein taab nahi
gam ki dava to ...

इसे देवनागरी में बदलिए फ़ौरन

तो इसके लिए just click the link below-

Editor

(quillpad के सौजन्य से )
you will get quillpad window. - copy and paste your roman script song and your job is done...


यौर सोंग इस रेडी इन देवनागरी

गम की दवा तो प्यार है गम की दवा शराब नही
ठुकराव ना हमारा प्यार इतने तो हम खराब नही
गम की दवा तो ...

जाता है जो जाने दो आता है वो आने दो
बीती बातें बीत गयी नयी बहारें आने दो
बगिया में फूल हज़ारों हैं एक ही तो गुलाब नहीं
गम की दवा तो ...

घाव जिया के भर देंगे टूटा दिल हम जोडेंगे
बन के रहेंगे साथी हम साथ कभी ना छोडेंगे
अब कोई तुमको सता सके इतनी किसी में ताब नही
गम की दवा तो ...

हिन्दी फिल्मी गीत देवनागरी या रोमन में...

अब आप हिन्दी के अक्षर पहचानने लगे हैं मगर औपचारिक शिक्षण यानी पाठ-दर-पाठ से बोर होने लगे हैं । हिन्दी फिल्में आपको बेहद पसंद हैं । यदि हिंदी फिल्मों के गाने देवनागरी या रोमन लिपि में मिल जाते तो पढ़ने में मज़ा आता। एक ओर म्यूजिक सुना जाता दूसरी ओर लिखा हुआ गाना पढ़/गा भी लेते ... कैसे भला---

Now you are able to recognize Hindi alphabets , can read too.

But... formal Hindi lessons are too boring!!

Is it not possible to have some other interesting way to learn Hindi … like reading some Hindi songs along with music in your music box or playing the same song in i-pod!!!
-Oh yes, this is very much possible… read the song given below-

आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया
आप ने याद दिलाया ...

मैं भी क्या चीज़ हूँ खाया था कभी तीर कोई
दर्द अब जा के उठा चोट लगे देर हुई
तुमको हमदर्द जो पाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया ...

मैं ज़मीं पर हूँ न समझा न परखना चाहा
आसमाँ पर ये कदम झूम के रखना चाहा
आज जो सर को झुकाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया ...

मैं ने भी सोच लिया साथ निभाने के लिये
दूर तक आऊंगी मैं तुमको मनाने के लिये
दिल ने एहसास दिलाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया ...


ठीक ऐसे ही ना ...
You want this way only ...
तो फ़िर देर किस बात की !!
gr8lyrics के द्वारा यह सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराई गई है ।

Is it correct ?
THEN...

Decide the song ... recall the first alphabet of the song and ... click the appropriate alphabet below … select the song and read or sing along with the music of your player -

a b c d e f g h i j k l m n o p q r s t u v w x y z others

(gr8lyrics. com के सौजन्य से )

Aug 30, 2009

अँग्रेज़ी कहावते और हिंदी भावार्थ - लिंक

हिंदी वेबसाइट पर अनेक अँग्रेज़ी कहावतें हिंदी भावार्थ के साथ दी गई हैं ।
just click the LINK below-



English Proverbs with Hindi meanings

(हिंदी वेबसाइट के सौजन्य से )

सरल हिंदी-अंग्रेजी व्याकरण Simple Grammar

हिंदी वेबसाइट द्वारा बड़ी ही सरल हिंदी और अंग्रेज़ी व्याकरण निशुल्क उपलब्ध कराई गई है । यह उन हिंदी भाषियों के लिए भी उपयोगी है जो जल्दी से भूली-बिसरी हिन्दी या अंग्रेज़ी व्याकरण की बातें दोहरा लेना चाहते हैं। इस वेबसाइट पर और भी बहुत सी उपयोगी जानकारियाँ हैं हिंदी सीखने वालों के लिए।
The Noun
The Pronoun
The Adjective
The Verb
Verb with incomplete predication
Tense
हिंदीAND ENGLISH GRAMMAR

(हिंदी वेबसाइट के सौजन्य से )

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Aug 29, 2009

गुमनामी के नाम : विलंब के लिए खेद है.

अशिष्ट जी की पिछले कुछ दिनों से कोई ख़बर नहीं है। वे लापता हैं और हम मज़बूर हैं गुमनामी के नाम की अगली कड़ी न दे पाने के लिए । हमने वादा किया था २९ अगस्त से पहले प्रकाशित करने का मगर अशिष्ट जी के नाम से उनके पते का पता नहीं चलता । हमें पूरी उम्मीद है कि वे हमारे ब्लॉग को ज़रूर देख रहे होंगे और जल्दी ही हमें गुमनाम होने से बचा लेंगे।

सामान्य हिंदी पाठ्यक्रम निशुल्क डाउनलोड

Byki का यह कोर्स बस दो मिनट में डाउनलोड और स्थापित यानी इंस्टाल किया जा सकता है । यह बोलचाल की हिंदी के आम प्रयोग में आने वाले शब्दों तक सीमित है और बोलता भी है। मुफ्त में इसे भी आजमाया जा सकता है। ज़रा आप भी परखिए। FOR डाउनलोड just click the LINK below -
Hindi: Byki Express for Windows
(Byki.com के सौजन्य से )

Aug 28, 2009

हिंदी की एक सम्पूर्ण पाठशाला

हिंदी की बिंदी हर छोटे-बड़े विद्यार्थी के लिए एक सम्पूर्ण पाठशाला की तरह लगती है ।
HINDI KI BINDI : An important Hindi school for every one. Just try and enjoy this also-
http://www.hindikibindi.com/

Hindi Ki Bindi-for all age of ...

ताज़ा तरीन हिन्दी समाचार पढ़ने की सुविधा

यदि आप ताज़ा हिन्दी खबरें पढ़ना चाहते हैं तो नीचे क्लिक कीजिए यहाँ आपको हिन्दी में कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी ।
just click the link below-
Hindi

Aug 27, 2009

मेरे गुरु ... 2 : डॉ कुँअर बेचैन

-अजय मलिक
वर्ष 1987 : अप्रेल या मई का महीना था । रात के ग्यारह बज चुके थे । शाम के सात बजे से चिंतन जारी था मगर ऊहापोह की स्थिति बनी रही। लगभग सवा ग्यारह बजे उन्होंने कहा -" जब कदम बढ़ा दिया है तो पीछे क्यों हटाना ... डिग्री तो सभी को मिल जाती है ...एक साल बेकार जाता है- जाए - बात तो रह जाएगी , परिवर्तन का प्रयास सभी नहीं कर पाते ..."
अगले दिन मैंने अपनी एम एड की परीक्षा का पर्चा हिंदी में लिख दिया था। जामिया-मिल्लिया-इस्लामिया में पहली बार ऐसा हुआ था । परीक्षा अंग्रेज़ी में लिखने की बाध्यता थी मगर किसी ने चुनौती दी थी - "हिंदी में लिखने पर हिला दिए जाओगे।"
'फ्रायड का मनोविश्लेषण एवं सामाजिक संबंध ' विषय पर एक पर्चा क्या हिंदी में पढ़ा मुझे सचमुच का हिंदी-जाति-वाला जैसा कुछ बना दिया गया। एरिक्सन के व्यक्तित्व के विकास के सिद्धांत पर खूब पढ़-लिखकर आतंरिक मूल्यांकन के लिए जो अंग्रेज़ी में लिखा गया था उसे यह कहकर काट दिया गया कि इंडियन राइटर्स की कोई प्रामाणिकता नहीं है । विदेशी विद्वानों की तीन किताबें लाकर दिखाई गईं तो जवाब मिला - 'ऐसा तो नहीं पढ़ाया गया था ...आपकी समझ में अंग्रेज़ी नहीं आती है।'
मैंने कच्चा इरादा बनाया था । साहस कम था। क़र्ज़ लेकर पढ़ाई करना और भविष्य को दाव पर लगा देना ... उस हिचकिचाहट से निकाला था डॉ कुँअर बेचैन जी के उस रात के निर्णय ने। हम आठ लड़के थे ...सात फेल हो गए या कर दिए गए यह मानकर कि वे हिंदी आन्दोलन में मेरे साथ थे। मेरा परीक्षाफल रोक लिया गया ...आठ माह बाद क्यों और कैसे आनन-फानन में मुझे न्यूनतम अंकों के साथ पास घोषित किया गया ये बहुत लम्बी कहानी है।
बात डॉ कुँअर बेचैन जी की चल रही थी। यदि गुरु मात्र कक्षा में पढ़ाने वाले ही हो सकते हैं तो फिर बेचैन साहब मेरे गुरु नहीं हो सकते। पर क्या वाकई 'गुरु' शब्द इतना सीमित-संकुचित अर्थ रखता है ? मैं ऐसा नहीं मानता । जब एक-दो कक्षाओं में बी एस सी के दौरान वे पढ़ाने आए थे तब हम पढ़ने वाले नहीं हुआ करते थे -वर्ष 1978-79 में गाजियाबाद में एम एम एच कालिज में कोई पढ़ता था भला!!
किसी ने एक दिन दूर से दिखाकर कहा था- 'ये बहुत बड़े कवि हैं।'
मैंने कहा -' ठीक है।'
फिर गाँव में हल चलाने का दौर शुरू हुआ । अज्ञेय जी का बीबीसी से साक्षात्कार सुना ... सुबह-सुबह कंधे पर हल, हाथ में बैलों की पगैहा और बगल में पड़ौसी का ट्रांजिस्टर ..कोई क्या कल्पना करेगा। कुछ लिखा और पता नहीं कैसे बेचैन साहब को भेज दिया । गाँव में उनकी चिट्ठी आई ...फिर मुलाक़ात ...उनकी कोशिश कि मुझ बेसुरे को सुर में पिरोया जाए और मैं ग़ज़ल को गटक जाने वाला...इस मामले में हम दोनों ही अपनी-अपनी जगह शायद असफल ही रहे मगर मेरे व्यक्तित्व में एक दृढ़ता आने लगी । एक कवि ने कब और कैसे मुझे सिपाही बना दिया -बयान कर पाना मुश्किल है । आज भी जब बुरी तरह उलझ जाता हूँ तो उनपर जिम्मेदारी डाल कर मुक्त हो जाता हूँ। एक ऐसे गुरु जिन्होंने कभी खाली हाथ नहीं जाने दिया । कवि सम्मलेन देखने - सुनने शुरू किए उनके साथ... छोड़े उनके साथ और फिरसे शुरू किए उनके साथ। पीएचडी अधूरी रह गई ...क्योंकि मैं वह सम्पूर्णता नहीं ला पाया जो मुझे चाहिए थी गुरु जी ने बहुत चाहा, बहुत सराहा भी पर मैं उनके शिष्य के रूप में अपने अन्दर जो परफेक्शन लाना चाहता था वह लाया हुआ महसूस नहीं कर सका। उन्होंने बहुत कहा -"परफेक्शन के लिए और बहुत से मौंके आयेंगे। " मगर मुझे वह पंक्ति भुलाए नहीं भूलती- "डिग्री तो सभी पा जाते हैं..."

Aug 26, 2009

हिंदी संयुक्त व्यंजन Hindi/Consonant combinations

इसके माध्यम से आप हिंदी संयुक्ताक्षर आसानी से सीख सकते हैं ।
Do you know about Hindi conjucts ?
Just click the link below-

Combinations (Conjuncts)

(Wikibooks के सौजन्य से )

सामान्य बोलचाल के वाक्यांश:simple hindi phrases

यह कड़ी आपको विभिन्न प्रकार के हिंदी वाक्यांश सीखने में मदद करेगी -
you can learn simple hindi phrases by clicking the links below-
(Wikibooks के सौजन्य से )
Phrases
Actions
Simple words
Sentences वाक्य

उपयोगी है -TBIL फॉण्ट कन्वर्टर

हमारे लिए फॉण्ट कन्वर्टर "सुविधा" का link दे पाना तो सम्भव नहीं हो पा रहा है मगर सभी भारतीय भाषाओं में लिप्यान्तरण, फॉण्ट की अदला-बदली नॉन यूनिकोड से यूनीकोड तथा यूनीकोड से नॉन यूनीकोड फॉण्ट  परिवर्तन हेतु भाषाइंडिया.कॉम द्वारा तैयार किए गए TBIL का link यहाँ दिया जा रहा है । हमें पूरी उम्मीद है कि यह सॉफ्टवेयर सभी  मित्र एवं बंधुओं को अवश्य फॉण्ट की समस्याओं  से मुक्ति दिलाएगा ।

 TBIL Converter 3.0
(bhashaindia.com के सौजन्य से )
xxxxxxxxxxxxxxxxx

Aug 25, 2009

ई-मेल से मिलीं कुछ और प्रतिक्रियाएँ

आपका ब्लाग देखा।
आपके कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए कम है. आपका यह प्रयास सराहनीय एवं प्रशंसनीय तो है ही, साथ ही प्रेरक एवं अनुकरणीय भी है. असामान्य परिस्थितियों के बीच आपकी यह उपलब्धि उस तंत्र पर तमाचा है, जो लबालब उपलब्ध संसाधनों के बावजूद बरसों बरस कुछ भी हासिल नहीं कर पाते हैं।
यह उन व्यक्तियों पर भी तमाचा है जो पदों को हासिल करने की लालसा में तो कुछ भी कर गुज़रने का माद्दा रखते हैं, किन्तु उसी पद पर आसीन होने के बाद रिटायमेंट तक आपके इस कारनामे के नाखू़न बराबर भी कुछ हासिल किए बिना रिटायर जिंदगी बिताने लग जाते हैं। आपकी अर्द्धांगिनी आपके इस प्रयास में भी आपके कदमों के साथ कदम मिला रही हैं, उनके कदम आपसे भी अधिक बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं। आपके इस ब्लाग से मैं जितने अधिक लोगों को जोड़ सका मेरा सौभाग्य होगा। बधाई!!!

निरुपम
कोलकाता
**********************************
अजय भाई,
इस में तो कभी कोई संदेह था ही नहीं कि आप अनोखी प्रतिभा के मालिक हैं। Hindi for You blog के ज़रिये आपने हिन्दी और उर्दू , दोनों की अमूल्य सेवा की है ।
इस प्रतिभा की जय हो !
Ajai हो !
Siraj Syed
मुंबई
*************************************
Most respected Sir,
I have received some excellent comments from the viewers. Hope you have seen it. Thanks a lot to you and Mrs Malik. Both of you are great and doing best things for the propagation of OL.
Sir,
I had also requested you to kindly resend me the events (Date wise) of OL which you had sent me earlier but not getting it in my computer। I want to circulate it to all during the Hindi Month।
Regards.
चट्टोपाध्याय
पोर्ट ब्लेयर

उनकी अदा: समीक्षात्मक प्रतिक्रिया

अशिष्ट जी की यह विशिष्ट कहानी रोचक बन पड़ी है । आरंभ से अंत तक उत्कंठा से परिपूर्ण इस कहानी में बड़े साहब की रीति, नीति और ख्याति का भरपूर ख्याल रखा गया है, आखिर कहानी के वे नायक तो हैं ! लगता है बड़े साहब की सुमधुरता और सौगंद से मोहित छोटे बाबू को खलनायक बनाने का दुस्साहस न करके कहानीकार ने कहानी के प्रति बड़ा न्याय किया है ।
अशिष्ट जी की इस कहानी की सार्थकता का बयान थोड़ी-सी पंक्तियों में अभिव्यक्त करना एक बड़ा दुस्साहस ही कहलाएगा । कहानीकार ने समाज के दर्पण में सज-धजकर नज़र आनेवाले तथाकथित बड़े साहबों की ओर इशारा मात्र करते हुए, ऐसे विशिष्ट लोगों के साथ कैसे पेश आए, या उनके साथ लेन-देन में कैसी सावधानी बरती जाए, यह पाठकों के विवेक पर छोड़ दिया है । इस कहानी से निश्चय ही विवेकपूर्ण पाठकों का ज्ञानोदय होगा, मगर क्या वे मदद करने की अपनी मानसिकता बदल पाएंगे, बड़े साहब के वर्चस्व के मद्देनज़र यह बिल्कुल असंभव प्रतीत होता है । आखिर अशिष्ट जी ने भी अपने को ‘अशिष्ट’ नाम से प्रकट करके अपनी शिष्टता को ही प्रकट किया है, बड़े साहब के विरुद्ध किसी खलनायक को पैदा करने का विकट साहस नहीं किया है । ऐसे साहस को यदि हम अशिष्टता कह सकते हैं, तो कथाकार ने अपने लिए जो नाम चुना है, वह सार्थक ही लगेगा । यदि वे बड़े साहब की कहानी के भविष्य के किस्त भी पेश करते हुए नज़र आएंगे तो ‘शिष्ट’ नाम भी निरर्थक नहीं होगा । ऐसी कहानी हिंदी के हित में कहा तक सार्थक है, मुझ जैसे एक आम पाठक को पता नहीं, मगर यह कहना समीचीन होगा कि यह हिंद के हित में है । बड़े साहब कहीं और जुगाड़ लगाकर हिंद के पार विदेश में भी पहुँच पाने की स्थिति में, अशिष्ट जी को अपनी यह कहानी अंग्रेजी में भी पेश करनी होगी, क्योंकि तब तो यह कहानी दुनिया के हित में होगी । ऐसे ही विशिष्ट बड़े साहबों की बदौलत आज हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनने की ठानकर इठला रही है । बड़े साहब की इस छोटी कहानी को हिंदी में अंतर्जाल पर पेश करनेवाले अशिष्ट जी भी अपनी इस उपलब्धि पर इठलाते हुए ही न बैठें, बड़े साहब की बड़ी-बड़ी कहानियाँ भी पेश करने का विनम्र प्रयास जरूर करें । एक आम पाठक इससे बढ़कर क्या व्याख्या कर सकता है इस कहानी की, बस अब बड़े आलोचकों की सुनने की लालसा बनी रहेगी जरूर ! ‘उनकी अदा’ कहीं यह तो नहीं कह रहा है कि ‘दग़ा किसी का सगा नहीं’ ?!


ए. पाठक

एक पत्र ऐसा भी

आदरणीय मलिक साहब,
कल हमलोगों ने आपका ब्‍लॉग देखना शुरू किया जो अत्‍यंत सूचनाप्रद और हिन्‍दी के प्रचार-प्रसार के लिए एक सशक्‍त माध्‍यम है । इसमें आपने बहुत सारे हिन्‍दी संबंधित साइटों के लिंक दिये हैं जिससे यह और उपयोगी हो गया है जो हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है । आपने अपने लेख में फोंट कनवर्टर सुविधा का उल्‍लेख किया है जो वास्‍तव में बहुत सुविधाजनक है । हमलोग चाहते हैं कि अपने ब्‍लॉग में गुगल ट्रांस्‍लेट के साथ इस फॉंट कनवर्टर का भी लिंक दे दें तो निश्‍चय ही हिन्‍दी के विभिन्‍न फॉंटों में काम करने वाले सभी लोगों को यूनीकोड मंगल फॉंट में परिवर्तन करने में बहुत सहुलियत होगी । इससे न केवल फॉंटों की समस्‍या का निराकरण होगा अपितु यह कदम एकरूपता लाने में भी सहायक होगा।
शुभकामनाओं सहित,
प्रभु प्रसाद साव,
सेल,सीएमओ, कोलकाता25.8.2009

हिंदी शार्टहैंड निशुल्क पुस्तक डाउनलोड link

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उर्दू व्याकरण पुस्तक डाउनलोड के लिए link

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हिंदी व्याकरण पुस्तक निशुल्क डाउनलोड link

हिंदी,उर्दू, हिन्दुस्तानी व्याकरण की अंग्रेज़ी पुस्तकें इस link से निशुल्क ऑनलाइन पढ़ी भी जा सकती हैं और डाउनलोड भी की जा सकती हैं -
(University of California librariyes के सौजन्य से )

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हिन्दी टाइपिंग शिक्षक मुफ्त डाउनलोड link

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हिंदी शब्द भंडार बढ़ाने के अभ्यास के लिए link

यह मनोरंजक शब्द पहेली की तरह है तथा हिंदी से अंग्रेज़ी एवं अंग्रेज़ी से हिंदी दोनों में उपलब्ध है। इसे भी देखें ज़रा -( syvum के सौजन्य से )

एक और English to hindi शब्दकोष डाउनलोड link

यह निशुल्क है मगर मात्र 45 दिन के लिए। डाउनलोड कर परखने लायक तो है ही। डाउनलोड में मात्र दो मिनट का समय लगता है । आप भी आजमाइए-
Download (2.81 MB) Mirror 1

Aug 24, 2009

हिन्दी के प्रमुख अखबारों के लिए links

गुवाहाटी से कुछ मित्रों ने हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं के links के लिए अनुरोध किया है। उनके आग्रह के अनुरूप नीचे links दिए जा रहे हैं-

Aug 23, 2009

मेरे गुरु ...1

स्वर्गीय डॉ० कांताप्रसाद अग्रवाल की यादें...
-अजय मलिक

पूरे पच्चीस वर्ष के लंबे अन्तराल के बाद जुलाई में एन आर ई सी में कदम रखा। सोचा था सब कुछ बदल गया होगा...सारा ज़माना भी तो बदल चुका है। दिल्ली-गाजियाबाद के आस-पास जहां कभी खेत-खलिहान हुआ करते थे वहां आज हजारों मोटर कारों का सैलाब नज़र आता है। समुद्र में चाहे रोज ज्वारभाटा क्यों न आता हो मगर पुराने जमाने के खेतों में बनी सड़कों पर ट्रैफिक जाम में चौबीसों घंटे कोई कमी नहीं आती। कच्ची मिट्टी या ईंट-गारे से बने इकमंजिला मकान न जाने कहाँ गायब हो गए।
बहरहाल गाजियाबाद से खुर्जा जाते हुए बहुत सी बातें और भी सोची थीं। पूरा भरोसा था कि कोई न कोई तो अग्रवाल साहब के परिवार का पता जरूर बता ही देगा। खुर्जा पहुँचने पर उसी रास्ते गाड़ी आगे बढ़वाई जिस रास्ते कभी हम चार युवक भटकते हुए एन आर ई सी में प्रवेश किया करते थे। चौराहे पर जाकर पता चला कि आगे सड़क तंग है। गाड़ी का आगे जाना नामुमकिन तो नहीं मगर मुश्किल ज़रूर था। दो-चार जगह रास्ता पूछा फिर समझ में आया कि पच्चीस साल में नाले की पटरी वाली पगडंडी- नुमा कच्ची सड़क आज भी अपनी पुरानी रवानी के साथ मौजूद है।
लगभग दो किलोमीटर का चक्कर लगाकर जब लगा कि मंजिल करीब है तब एक चारदीवारी ने रास्ता रोक लिया। गाडी एक जगह छोड़कर किसी तरह शिक्षा संकाय के मुहाने पर पहुंचा तो हैरत के साथ अद्भुत शान्ति का अहसास हुआ। सब कुछ बिलकुल वैसा ही जैसा पच्चीस बरस पहले छोड़ गया था।
वही दो पुराने बड़े-बड़े हालनुमा क्लास रूम... वही रंग-रोगन...बरामदा -जिसमें के. सी. एस. पर कुछ गुंडों ने हमला किया था। सभी कमरों में ताला लगा था। बहुत सी यादें... जो कभी पुरानी नहीं पड़ीं... शायद इसी लिए कि वहाँ आज भी सब कुछ पुराना होकर भी वैसा ही तरोताजा था। बस अग्रवाल साहब की नई साइकिल वहाँ नहीं थी। मैं अग्रवाल साहब के चले जाने के सात बरस बाद उस परिवार से मिलने की हिम्मत जुटा पाया था। यद्यपि अग्रवाल साहब के न होने पर उनकी साइकिल के बारे में सोचना कोई मायने नहीं रखता था मगर मन तो कुछ ऐसी ही कल्पना कर रहा था कि शायद साइकिल के बहाने अग्रवाल साहब से मुलाक़ात हो जाए ।
मन मुताबिक कभी होता है भला। कुछ नहीं मिला ... प्राचार्य के कार्यालय में दो बंधु बैठे गपशप कर रहे थे । उनसे पूछा मगर कुछ पता न चला। एक बंधु ने साथ आकर बड़े बाबू के आने तक कुछ जानकारियाँ दीं। अच्छा लगा ...बड़े बाबू भी पच्चीस साल में नहीं बदले थे। उन्होंने संकायाध्यक्ष श्री (डॉ) अम्बरीश बहादुर भटनागर साहब का मोबाइल नंबर बताया। अग्रवाल साहब का पता फिर भी नहीं मिल पाया।

पच्चीस बरस पहले भटनागर साहब और अग्रवाल साहब के अलावा श्री जमशेद अली खान, सिंह साहब, शर्मा जी भी हमारे गुरुजन हुआ करते थे। हम चार यानी भाटी, शशिकांत , कैलाशचंद शर्मा और मैं अग्रवाल साहब के दुलारे हुआ करते थे । यह पंचायत कैसे बनी यह तो स्वयं हम लोगों को भी पता नहीं चल पाया। बस इतना कह सकता हूँ कि मेरा परिचय अग्रवाल साहब से सबसे बाद में हुआ और अंत में सिर्फ हम दो ही रह गए- एक गुरु, एक शिष्य।
आज जो भी हूँ -अच्छा या बुरा उन्हीं अग्रवाल साहब की देन हूँ। मुझ देहाती-गंवार को उनकी गुरुता ने आदमी बना दिया। "बंटी..." यही घर का नाम था उनके बेटे का। एन आर ई सी छोड़ने के बाद समरेश बासु के उपन्यासों से प्रभावित होकर मैंने अग्रवाल साहब को कांता 'दा' लिखना शुरू किया तो बंटी ने मुझे बड़ा भाई मान लिया।
अहार में शिवरात्रि के दिन कांवरियों के मेले में भटकने के किस्से हों या रामेश्वरम-मदुरै की यात्रा या फिर एन आर ई सी के स्काउट कैंप में हमारी सूखी रोटी खाने वाले प्रोफेसर की बातें... और वह सब भी जो एकमात्र अग्रवाल साहब ही कर सकते थे... अन्याय के खिलाफ किसी भी हद तक लड़ना... लड़ने की शक्ति सृजित करना और जब कदम थकने लगें तो सहारा देना ... भावना और भावुकता को समझने वाले उस गुरु ने कब मित्र की भूमिका निभाई और कब कठोर अनुशासित गुरु की समझ पाना सदैव बेहद कठिन रहा। हर मुश्किल वक्त में उनकी खरखराती सी आवाज़ में कहे गए ये शब्द नि जान फूंक देते थे - " अरे भैया अजय तुम तो बस ..."
शायद मैं एक मात्र ऐसा छात्र था जो अपनी लैसन-प्लान को रोज-बनाने को मज़बूर होता था। मेरी बनाई हरेक प्लान को वे कसाई की तरह काटते जबकि अन्य किसी की प्लान पर उनकी कलम कभी क्रॉस न लगाती। फिर हर शाम उनके घर पर चाय पी जाती। परीक्षा का वह अंतिम दिन आज भी याद आता है जब उन्होंने कहा- "रोते क्यों हो? जाकर उसे सच्चाई बताओ तो सही ... सब ठीक हो जाएगा।"
-किन्तु-परन्तु-लेकिन-पर से घिरी सच्चाई ऐसी की, इतने पर भी बताई न जा सकी।

सात वर्ष बीत जाने पर भी मैं उनके न होने को नहीं स्वीकार पाया। ...और यही वज़ह रही कि उस परिवार की तलाश में खुर्जा तक पहुँचने में इतना समय लगा। खुर्जा से बस इतना ही पता चल पाया कि वह पूरा परिवार कहीं पूना में जा बसा है।
पते और फोन नंबर की अभी भी तलाश है।
तलाश उन बाकी के तीन तिलस्मी तत्कालीन युवाओं यानी शशिकांत शर्मा, चरण सिंह भाटी और कैलाश चन्द्र शर्मा की भी है ।

आप सोच रहे होंगे कि यह एन आर ई सी क्या है ? मुझे भी 1983-84 में इस बारे में कुछ देर से ही पता चल पाया था। नत्थीमल रामसहाय एडवर्ड कोरोनेशन कॉलेज, खुर्जा...बड़ा ही अटपटा सा नाम मगर इस कॉलेज से निकले कितने लोग कितने विश्वविद्यालयों के महान कुलपति बने ...गिनती करना थोड़ा कठिन है ।
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श्री राहुल देव जी के पिताजी का स्वर्गवास : शोक-संवेदनाएं

कल हमारे प्रिय मित्र एवं सी एन ई बी हिन्दी चैनल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रधान सम्पादक श्री राहुल देव जी के पिताजी का देहांत हो गया। हिन्दी सबके लिए परिवार की ओर से दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना।
-सह-व्यवस्थापक

Aug 22, 2009

सभी देशवासियों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ


गणपति बाप्पा मोरिया

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ










गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ

वो नदी ही बेताब थी

-अजय मलिक

कब समंदर ने कहा
-आकर गले मिल

कब पहाड़ों ने कहा
-जा, तोड़ के दिल


इश्क की गफ़लत घिरी
घर-बार खोकर

कितने पठारों के
तन-मुंह-हाथ धोकर


जंगल के सीनों पर
दिन-रात सोकर


कभी तनकर,
कभी सजकर-संवरकर

कई बस्ती-गाँव-नर
नगरों को निगलकर

खुद को मिटाने को
वो नदी ही बेताब थी


*************

Aug 21, 2009

एक्स पी में इस ब्लॉग के कुछ फीचर्स अलग दिख सकते हैं.

मित्रो ,
यह ब्लॉग हम विडोज़ विस्ता अल्टीमेट में तैयार कर रहें हैं इसलिए हो सकता है इसके कुछ फीचर्स विन्डोज़ एक्स-पी या अन्य आपरेटिंग सिस्टम्स में सही से न दिखाई दे रहे हों। विन्डोज़ एक्स-पी में हमें कई links लगाने में कठिनाई हुई। अनुक्रम के शीर्षक जो विस्ता में पूरी तरह स्क्रोल हो रहे थे एक्स-पी में स्क्रोल नहीं हो पा रहे थे यह इंटरनेट एक्सप्लोरल के वर्ज़न की वज़ह से भी हो सकता है । इसके तकनीकी पक्ष पर विशेषज्ञों से टिप्पणियों की अपेक्षा है।
-सह-व्यवस्थापक

भाई ईश्वर जी के ब्लॉग से अनेकों उपयोगी ब्लाग्स तक पहुँच संभव है.उनके ब्लॉग का पता तथा link यहाँ दिया जा रहा है.

http://www.ishwarbrij.blogspot.com/

Ishwar

कुछ ऐसे ब्लॉग जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है.

अक्सर देखने में आया है कि हमारे अनेक हिन्दी भाषी मित्र जो हिन्दी के आधिकारिक अधिकारी भी हैं वे बहुत कुछ सिखाने में लगे रहते हैं मगर कंप्यूटर की बात उठाते ही उन्हें आलस्य सा आने लगता है। यदि जबदस्ती जागते रहने के लिए विवश किया जाए तो वे इतनी समस्याएँ बताते हैं हिन्दी में कंप्यूटर पर काम करने को लेकर कि समस्या शब्द के लिए भी अपना अस्तित्व बचाए रखना एक समस्या बन जाती है।
इस ब्लॉग को शुरू करने पर बीकानेर से एक टिप्पणी मिली भाई ईश्वर जी की । अनेक हिन्दी ब्लॉग वे देखते रहते हैं। उनकी प्रोफाइल खोलने पर अनेक ऐसे महत्वपूर्ण ब्लॉग देखने का अवसर मिला जो कम्पयूटर की हिन्दी से जुड़ी शायद हरेक समस्या का समाधान अपने में समाए हैं । ऐसे चिट्ठेकारों तक सबकी पहुँच हो सके इसी उद्देश्य से हम कुछ चिट्ठों यानी ब्लोग्स के link दे रहे हैं -

आई आई टी रुड़की में हिंदी कंप्यूटर कार्यशाला

राष्ट्रीय कार्यशाला कंप्यूटर और हिन्दी ( 23-24, सितंबर 2009), हिन्दी प्रकोष्ठ

Aug 20, 2009

नराकासों के लिए link

(rajbhasha.gov.in के सौजन्य से )
नगर राजभाषा कार्यान्वयन कार्यालयों की सूची

राजभाषा विभाग की अद्यतन सूचनाओं के लिए link

अद्यतन सूचनाएं

Aug 19, 2009

क्या हम अपनी भाषाओँ के प्रति संवेदनशील हैं ?

हम अपना नाम अपनी भाषा में लिखते हैं।

हमारे घर के बाहर हमारे नाम -पते की पट्टी या तख्ती या बोर्ड पर नाम आदि हमारी अपनी भाषा में है।

हम अपनी भाषा में ही पूछताछ करते हैं।

रेलवे आरक्षण फार्म अपनी भाषा में भरते हैं।

पत्र आदि के लिफाफे पर पता अपनी भाषा में लिखते हैं।

यदि "हाँ" तो क्या हमारी भाषा अंग्रेज़ी हो सकती है ???

अब तक के अनुत्तरित प्रश्न

यदि आप जानते हैं तो बताएं -
1. राजभाषा नियम 1976 का विस्तार तमिलनाडु राज्य पर क्यों नहीं है?
2. राजभाषा नियम 1976 के नियम-3, उपनियम-3 के अनुसार 'ग' क्षेत्र की राज्य सरकारों/व्यक्तियों के साथ किस भाषा में पत्राचार किया जाता है?
3. राजभाषा अधिनियम 1963 की किस धारा का सबसे ज्यादा उल्लंघन होता है और क्यों?
4. राष्ट्रपति की ओर से काम करने वाले को राष्ट्रपति के आदेशों का पालन करना किस सीमा तक अनिवार्य है ?
5. भारत में राष्ट्रपति की ओर से काम करने वाले कितने प्रतिशत लोग राष्ट्रपति के आदेशों का पालन करते हैं ?
6. प्रतिवेदन अथवा रिपोर्ट से क्या अभिप्राय है ?
7. सरकारी कार्यालयों, बैंकों आदि से भेजी जाने वाली दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक , मासिक , तिमाही, छमाही अथवा वार्षिक रिपोर्टें (प्रतिवेदन) आदि भी क्या राजभाषा अधिनियम 1963 (यथा संशोधित 1967 ) की धारा - 3(3) के अन्तर्गत आती हैं ?
8. राजभाषा अधिनियम 1963 के मूल पाठ में धारा - 3 में कितनी उपधाराएं थीं ?

सुनिए और सीखिए : अंग्रेजी भी और हिंदी भी

इसमें वह सब कुछ है जो नए-नए हिंदी सीखने वाले विद्यार्थियों को चाहिए - वस्तुत: यह कड़ी हिंदी जानने वालों को भी फ़िर से हिंदी सीखने के लिए प्रेरित कर सकती है
Just listen and learn...... click the links below as per your requirement-

Cooking - Recipes


Hindi Sounds - Part 1 - क ख ग घ

ISpeakHindi

( ISpeakHindi के सौजन्य से )

ब्राह्मी लिपि भी जरा जाने तो कैसा रहे

देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ बताया जाता हैं। क्यों न एक नज़र ब्राह्मी लिपि पर भी डाली जाए-
जरा नीचे दिए link को click करे-

Brahmi
अब ज़रा इसकी तुलना देवनागरी एवं अन्य लिपियों से करके देखें -

syllabic alphabets


(omniglot के सौजन्य से )

ऑनलाइन बोलचाल की हिंदी सीखने के लिए link

यह आकर्षक है किंतु पहले आपको पजीकरण वगैरा करना होगा। आजमाने में कोई बुराई नहीं है।

Learn Hindi


Practice Hindi »

अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश : डाउनलोड links

नीचे दिए गए link से अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है ।

(शब्दकोष.कॉम के सौजन्य से )

Aug 18, 2009

इस आवाज की अनसुनी आप कर ही नहीं पाएंगे

यादगार और शुकून देने वाले हिन्दी गीतों के लिए एक link

(हिन्दी युग्म के सौजन्य से )

आवाज़

एक और रोमन से देवनागरी लिप्यांतरण उपकरण

अब तक हमने गूगल indic transliteration तथा quillpad टूल्स का प्रयोग रोमन से हिन्दी लिप्यांतरण के लिए बताया था । अब एक और टूल के लिए link पेश है जिससे आप हिन्दी में टाइपिंग कर सकते हैं बिना हिन्दी टाइपिंग जाने। यह उपकरण कैसा है जरूर बताइए -

हाइट्रांस - रोमन-नागरी लिप्यंतरण

यह कई मायनों में बेहतर है

अनेक शब्दकोश आपने देखे होंगे। नीचे जिस शब्दकोश का link हम दे रहे हैं वह कई मायनों में बेहतर है ।
(शब्दकोष.कॉम के सौजन्य से)

शब्दकोष

प्लैट्स के बहुभाषी शब्दकोष के लिए link

A link for APlatts, John T. (John Thompson) dictionary of Urdu, classical Hindi, and English

प्लैट्स

Aug 17, 2009

हिंदी सीखें एक नई कड़ी

जरा इसे भी आजमाएं -

(polyglot के सौजन्य से )

Hindi-English

हिंदी पाठ्य पुस्तक डाउनलोड link

Download link for a Hindi learning text book-
Student Text

(FSI Language Courses के सौजन्य से )

"जी. एम. साहब का गणित " - अशिष्ट

जी. एम. साहब का गणित -अशिष्ट
(अशिष्ट जी की एक और कथा पेश है )
तबस्सुम या तमन्ना ऐसा ही कुछ नाम था उस नन्हीं सी भोली-भाली बच्ची का। कक्षा छः के उस सेक्शन में कुल पच्चीस बच्चे थे। तबस्सुम की सहेली का नाम था आयशा। आयशा के पिता एक बड़े बैंक में जनरल मैनेजर यानी जी. एम. थे । दोनों सहेलियों में कोई ईर्ष्या- द्वेष जैसी भावना होने का सवाल ही नहीं उठता था। दोनों खूब मन लगाकर पढ़तीं , खूब मेहनत करतीं। स्कूल से जो भी काम घर पर करने के लिए दिया जाता दोनों पूरा कर लातीं। तबस्सुम पढ़ने में तेज़ थी जबकि आयशा औसत दर्जे की छात्रा थी। छमाही परीक्षा में हिंदी और गणित में तबस्सुम को शत-प्रतिशत अंक मिले लेकिन आयशा हिंदी में चालीस फीसदी तथा गणित में मात्र पचास फीसदी नंबर ही पा सकी।
दोनों सहेलियों को जब उत्तर-पुस्तिकाएं घर पर माता-पिता को दिखाने के लिए दी गईं तो दोनों ने एक दूसरे की उत्तर पुस्तिकाएं स्वयं भी देखीं। तबस्सुम के सारे उत्तर सही थे जबकि आयशा के हिंदी और गणित में आधे से ज्यादा उत्तर गलत थे। दोनों सहेलियां फिर भी खुश थीं। किसी बात का कोई गिला शिकवा उन्हें नहीं था। अगले दिन जब आयशा स्कूल आई तो उदासी उसके चहरे से साफ झलक रही थी। तबस्सुम के पूछने पर आयशा ने अपने पिता की डांट-फटकार के बारे बताया ।
तबस्सुम ने कहा- "कोई बात नहीं...पापा तो डांटते ही रहते हैं । अबकी बार और अच्छे से परीक्षा लिखना , सब ठीक हो जाएगा।"
"पर तबस्सुम पापा दो दिन पहले दफ्तर से कुछ परचे जांचने के लिए लाए थे... एक पर्चे में सारे सवालों के जवाब सही थे जिसमें पापा ने पचास में से पच्चीस नंबर दिए जबकि दूसरे पर्चे में आधे से ज्यादा सवालों के जवाब गलत थे जिसमें पापा ने पचास में से अस्सी नंबर दिए... " -आयशा ने कहा।"
"-पर ऐसा कैसे हो सकता है ?" - तबस्सुम ने सहज भाव से पूछा।
"-मम्मी ने भी पापा से यही पूछा था। फिर मम्मी-पापा में कुछ देर बहस भी हुई थी।"
दोनों सहेलियां इस सवाल का जवाब माँगने मेरे पास आईं और मैं निरुत्तर हो गया। जनरल मैनेजर साहब तो ग़लत हो ही नहीं सकते थे। उनका गणित का ज्ञान भी मुझ नाचीज़ की तुलना में कई गुना अधिक था। फिर ऐसा कैसे हो सकता था कि आधे सवाल गलत करने वाले को पूर्णांक से भी पचास फीसदी नंबर ज्यादा मिलें ...और सारे सवाल सही करने वाला पचास में से पच्चीस भर पाए !!
एक दिन जी. एम. साहब से मिलने का सौभाग्य मिला। मैंने झिझकते हुए दोनों बच्चियों की दुविधा उन्हें बताई।
वे खिलखिलाकर हँस पड़े फिर बड़ी ही गुरु गंभीरता से उन्होंने कहा- " मास्टर जी, हर काम के अपने तौर-तरीके होते हैं। बच्चे क्या जाने कि काम का कितना दबाव होता है ... बैंक के काम का एक अलग ढंग होता है। सब कुछ मैनेज करना होता है। आप बिल्कुल परेशान मत होइए। बच्चे तो अभी नासमझ हैं। "
मेरे चेहरे पर उलझन देखकर उन्होंने समझाया -" मूलधन... फिर ब्याज... फिर ब्याज पर ब्याज...यानी चक्रवृद्धि ब्याज , आप ये सब तो जानते हैं न । बैंक क़र्ज़ देते समय आपसे कितना कुछ लिखवाता है । पचास तरह के कायदे क़ानून में बांधने के बाद ही आपको ऋण दिया जाता है। ... जब आप खाता खोलते हैं तो भी आपसे ही लिखवाता है और आपको कागज़ का एक टुकडा तक नहीं देता ...आजकल पासबुक तक नहीं दी जाती। "
एक अध्यापक के चेहरे पर अजीब सी मूर्खता के भाव देखकर उन्हें हैरानी हुई ।
उन्होंने मुझ नासमझ को समझाने की आखिरी कोशिश करते हुए कहा-
" अच्छा ज़रा इस तरह सोचिए - हम आजकल आपको आठ फीसदी ब्याज पर क़र्ज़ देते हैं और आपकी फिक्स्ड डिपाजिट पर कई बार नौ फीसदी ब्याज आपको देते हैं। इतने पर भी मुनाफा कमाते हैं । जबकि आपके हिसाब से इस तरह हमारे पास तो कुछ भी नहीं बचना चाहिए ? मगर हम इसमें भी बचाते हैं और ...हम सबको पगार भी मिलती है.. बताइए कैसे ?"
मेरे पास निरुत्तर हो जाने के अलावा कोई चारा न था। मेरी पढ़ाई-लिखाई बिना दीवारों के टाट वाले स्कूल में हुई थी ...अपने पिछडेपन पर मैं बेहद शर्मिन्दा था।


Aug 16, 2009

हिन्दी कथा साहित्य: विकी स्रोतः साहित्य का खजाना

इस स्रोत का दायरा हम आपको नहीं बताएंगे। आप ज़रा ख़ुद ही आजमाइए -

विकी स्रोतः साहित्य का खजाना

बेहतरीन उर्दू ग़ज़लों के लिए लिंक

یہ لنک نہایت ہی خوبصورت گزالوں کو خود میں سمے ہے । شیروں کی بات کریں تو آتش سےلیکر زیشن ساحل تک گزالیں تین سکرپٹ میں پیش کی گئی ہیں . یہاں گالب بھی ہیں اور گلزار بہ، فیض بھی ہیں اور اقبال بھی.نمونے کے توے پر قتیل شافی کی گزل سے ایک شے'ر پیش ہے-جو اسی لنک پر موزود ہے-
वो मेरा दोस्त है सारे जहां को है मालूम
दगा करे वो किसी से, तो शर्म आये मुझे
ग़ज़लों के शौकीन इस लिंक से कतई निराश नहीं होंगे, ये वादा है हमारा । जो देवनागरी नहीं पढ़ सकते, वे अरबी-फ़ारसी लिपि में पढ़ सकते हैं जिन्हें ये दोनों लिपियाँ सीखनी बाक़ी हैं वे रोमन लिपि में पढ़ सकते हैं। (वेबसाईट ऑन शाइरी से साभार)
just try it by clicking the link below-

बेहतरीन ग़ज़लें और नज्में



बैंकिंग, प्रशासनिक एवं लेखा शब्दावली के लिए link

बैंकिंग शब्दावाली

प्रशासनिक शब्दावली

लेखा शब्दावली

{विकि-शब्दकोश (विकोश) के सौजन्य से }

एक अंग्रेजी-हिन्दी/मराठी Dictionary

A link for English to Hindi/Marathi Dictionary-

हिन्दी शब्दतंत्र

Click here to search the Hindi-English Dictionary

Aug 15, 2009

आज के प्रश्न

1. प्रतिवेदन अथवा रिपोर्ट से क्या अभिप्राय है ?
2. सरकारी कार्यालयों, बैंकों आदि से भेजी जाने वाली दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक , मासिक , तिमाही, छमाही अथवा वार्षिक रिपोर्टें (प्रतिवेदन) आदि भी क्या राजभाषा अधिनियम 1963 (यथा संशोधित 1967 ) की धारा - 3(3) के अन्तर्गत आती हैं ?
3. राजभाषा अधिनियम 1963 के मूल पाठ में धारा - 3 में कितनी उपधाराएं थीं ?

कड़ी से कड़ी - हिंदी: सर्वनाम A LINK FOR HINDI PRONOUNS

(Syracuse University के सौजन्य से )
Pronouns

कड़ी से कड़ी -हिंदी: संज्ञाएँ A LINK FOR HINDI NOUNS

(Syracuse University के सौजन्य से )
Marked Masculine
Marked Feminine
Unmarked Masculine
Unmarked Feminine

सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

( युगमानस के सौजन्य से)


Aug 14, 2009

बच्चों के लिए एक उपयोगी हिंदी link

(hindinest.com के सौजन्य से )
बच्चों की दुनिया

विभिन्न भाषाओं के लिए इलेक्ट्रानिक शब्दकोष -link

(Syracuse Universityके सौजन्य से )
E-Dictionary

शब्दार्थ एवं वाक्य प्रयोग के लिए link

(Syracuse University के सौजन्य से )
Click here to go to the Extended Vocabulary Pages

सामान्य हिन्दी प्रश्नोत्तरी के लिए link




(यूपीएससीजीके. कॉम के सौजन्य से )

हिंदी मुहावरों एवं लोकोक्तियों के लिए link


विकिसूक्ति (wikiquote) के इन पृष्ठों पर आपको सैंकड़ों  मुहावरे, उनका अर्थ तथा वाक्यों में प्रयोग मिलेगा। लोकोक्तियों का संग्रह भी बहुत अच्छा है। बस नीचे दिए लिंक्स को क्लिक कीजिए - 

[विकीकोट (wikiquote) के सौजन्य से ]

हिन्दी कहानियों के लिए link

कविताओं के लिए link दिए जाने के बाद अब आप की अपेक्षा है कि हिन्दी कहानियों के लिए भी कोई link दिया जाए तो ज़रा क्लिक कीजिए नीचे दिए link को -
कहानी

(hindinest.com के सौजन्य से )

हिंदी की सामान्य शब्दावली के लिए एक अद्भुत लिंक


यह एक अद्भुत लिंक है हिन्दी की सामान्य शब्दावली सीखने के लिए । ज़रा इसे भी आजमाइए और बताइए कि अब तक जो कड़ियाँ यानी लिंक्स हमने आप तक पहुँचने की कोशिश की उनमें से आपको सबसे ज्यादा उपयोगी और आसान कौन सी लगी।

This is a unique link to learn simple Hindi vocabulary। First of all you please download and install Download Xdvng font. It will take hardly one minute time …and after that just start clicking the links given below one by one -

(Syracuse University के सौजन्य से )

Colors

Numbers

Parts of speech

Identification

Basic Vocabulary

Conversations

श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी की हार्दिक शुभकामनाएं


युगमानस के सौजन्य से

Aug 13, 2009

हिंदी फिल्मी गीतों से हिंदी सीखने के लिए link

A link to learn hindi through hindi songs. इसे भी आजमाइए -
(Rice विश्वविद्यालय के सौजन्य से )
मेरा जूता है जापानी
कहता है जोकर
प्यार हुआ इक़रार हुआ

अनुवाद उपकरण से पूरे वेब पृष्ठ का अनुवाद

कल हमने बताया था कि इस ब्लॉग के साथ दाहिंनी और अनुवाद उपकरण संलग्न है जिससे विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है । यदि अनुवाद उपकरण में आप किसी वेब पृष्ठ का पता टाइप कर दें तो पूरे वेब पृष्ठ का अनुवाद हो जाता है। उदाहरणार्थ यदि आप अनुवाद उपकरण में http://www.hindiforyou.blogspot.com/ टाइप करते हैं तो इस ब्लॉग की सारी सामग्री का अनुवाद हो जाएगा तथा वेबपृष्ठ अनुदित रूप में सामने आएगा । अनुवाद से पूर्व स्रोत भाषा तथा लक्ष्य भाषा का चयन करना न भूलें .

"सर्वज्ञ जी के नाखून" -अशिष्ट


( अशिष्ट जी की फ़िर एक नई कहानी मिली है - सर्वज्ञ जी के नाखून )


सर्वज्ञ जी ने हमेशा की तरह आज भी सुबह सबसे
पहले होम्योपैथी की अपनी दवा का सेवन किया।
दवा के बाद उनकी ताज़गी लौट आई । बरसों बीत
गए मगर सर्वज्ञ जी के इस नित्य कर्म में कभी
कोई कोताही नहीं हुई । उनके इस नित्य कर्म को
सब जानते हैं मगर यह कोई नहीं जानता कि उन्हें
इस दवा को शुरू करने की आवश्यकता क्यों और
कैसे पड़ी ? उनकी बीमारी का भी आज तक किसी
को पता नहीं चल पाया।

जब वे बीस बरस के थे तो उनके सहपाठियों का मानना था कि उनके पेट में ऐसे कीडे हैं जो केवल होम्योपैथी की दवा से ही काबू किए जा सकते हैं। पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद जब एक दो साल उन्हें नौकरी के लिए भटकना पड़ा तो माना गया कि किसी तांत्रिक ने उन्हें नौकरी पाने के लिए कोई तंत्र-मंत्र बताया है जिसके लिए इस दवा का सेवन न सिर्फ जरूरी है बल्कि तंत्र के प्रभाव को कई गुना बढ़ाने में भी कारगर साबित होता है। यह बात तब पूरी तरह सिद्ध भी हो गई जब सर्वज्ञ जी डाकखाने में डाक छाँटने वाली नौकरी पा गए। लोगों को पूरा भरोसा था कि अब सर्वज्ञ जी का पीछा होम्योपैथी से छूट जाएगा मगर सर्वज्ञ जी ने डाकखाने का चपरासी बनने के बाद भी होम्योपैथी का पीछा नहीं छोड़ा । फिर लोगो ने सोचा कि शायद यह दवा शादी की शहनाइयाँ बजवाने के लिए ली जा रही है। लेकिन शादी के बाद भी सर्वज्ञ जी ने दवा नहीं छोड़ी और लोगों ने भी अनुमान लगाना जारी रखा।
सर्वज्ञ जी ने पचास के पार होने पर भी अपने आप को पूरी तरह संभाल कर रखा है । सुबह स्नानादि से निवृत होने के बाद अपने अंदाज़ में वे अपना सूट पहनते हैं । पैंट- कमीज़ के जोड़े को वे सूट कहते हैं। उन्हें किसी ने शादी से पहले बताया था कि ससुराल जाते समय पेंट-शर्ट के साथ बेल्ट बाँध लेने से सास-ससुर के साथ-साथ पत्नी भी परिवार बढ़ने की संभावनाओं को लेकर शक करने लगती है। बस फिर क्या था, उसी क्षण सर्वज्ञ जी ने जीवन भर बेल्ट न बांधने की कसम खा ली। उनकी पूरी बाजू की शर्ट के पीछे भी एक कहानी है - वे कभी भी कफ के बटन नहीं लगाते। इसका यह मतलब नहीं कि वे हमेशा आस्तीनें चढा कर रखते हैं। वे सिर्फ कफ को दो बार मोड़ लेते हैं। उन्हें शादी से पहले एक लड़की ने बताया था कि ऐसा करने से उनकी लम्बाई बढ़ी हुई लगती है और जूतों के साथ उनका व्यक्तित्व और अधिक निखर उठता है इसलिए वे कभी भी सेंडल नहीं पहनते।
डाकखाने के चपरासी के तौर पर उन्होंने नौकरी के लाज़वाब नुस्खे सीखे थे जो आज भी कारगर सिद्ध होते हैं । पहला नुस्खा - साधारण डाक का कोई रिकार्ड नहीं होता इसलिए जब भी डाक छंटाई के वक़्त थकान लगे , बची हुई डाक को गायब कर दो। आज भी एक बड़े महकमें में अफसर बनने के बाद वे यही करते हैं।
दूसरा नुस्खा - कभी भी गायब की गई डाक का पता किसी को मत होने दो, समय- समय पर अपने बॉस के खिलाफ डाक गायब करने की गुमनाम शिकायती चिट्ठियाँ सचिवालय को भेजते रहो। ऐसा करने से बॉस की जान सांसत में रहेगी और अपने लिए राहत नसीब होगी ।
तीसरा नुस्खा - सचिवालय के अधिकारियों के सामने सदैव हाथ बाँधे कमान की तरह खड़े रहो, मुंह से आवाज मत निकालो । लाख कहने पर भी उनके सामने मत बैठो। मिमियाती आवाज़ में बोलो ताकि साहब को अपनी साहबी पर गर्व महसूस हो।
चौथा नुस्खा - अपने सहकर्मी के सामने सारी दुनिया की बुराई करो मगर जिसके सामने कर रहे हो उसे उस समय छोड़ दो। बीच-बीच में अपने ताक़तवर होने का अहसास भी कराते रहो। अपने साथ हो सकने वाले हर संभव काल्पनिक अन्याय का बखान करो और चुप न बैठने की बहादुरी भी जताते रहो। फिर बड़े साहब के सामने मिमियाओ और सहकर्मियों के सम्बन्ध में उनके वाहयात होने के काल्पनिक प्रमाण प्रस्तुत करो। साहब लोग अक्सर कान के कच्चे होते हैं इसलिए उनके सामने औरों के बारे में इतना ज्यादा और इतनी अधिक बार झूठ बोलो कि सच के लिए कोई गुंजाईस ही बाकी न रहे। चीजों को लगातार उलझाते रहो ताकि लोगों का ध्यान गलती से भी आपकी गलतियों की तरफ न जाए। मिठाई सभी को पसंद है इसलिए जिसे जैसी मिठाई चाहिए खिलाते जाओ।
मिठाई की कद्र करने वालों ने सर्वज्ञ जी के व्यावहारिक ज्ञान से अभिभूत होकर उन्हें लगातार पदोन्नति दी। यहाँ तक कि कायदे-कानून को ताक पर रख कर भी मिठाई की मिठास का असर होता गया और एक दिन वे अन्य अनेक सुपात्र उम्मीदवारों को पछाड़ते हुए सहायक निरीक्षक के पद पर विराजमान हो गए।


उनके मातहत जितने भी लोग थे उनकी कद काठी सामान्य थी इसलिए वे अक्सर सीधे खड़े होकर सहज भाव से बात करते । सर्वज्ञ जी को सीधे खड़े होने वाले लोगों से जबरदस्त चिढ़ हो गई । जब भी कोई उनके सामने सीधा खड़ा होता उन्हें लगता कि वह चिढ़ा रहा है। इतनी अकड़ उन्हें बर्दास्त न होती और वे बिना बात ही उस सीधे खड़े आदमी पर बिफर पड़ते। जब भी कोई आदमी उनके पास से गुजरता उन्हें लगता कि जरूर कुछ उनसे छुपा रहा है। ऐसे में उनका गुस्सा उनके अपने हाथ के नाखूनों पर उतरता। धीरे धीरे उनकी अँगुलियों से नाखून नदारत होने लगे।


सचिवालय के अधिकारियों के सम्मुख अब वे कमान से भी अधिक लचक के साथ खड़े होते। बरबस ही उनका हाथ उनके मुंह के सामने चला जाता, जिसके नाखून कब के खाए जा चुके होते। होम्योपैथी की दवा और बेल्ट न बाँध पाने की प्रतिज्ञा के बावजूद वे पिता नहीं बन पाए। इसका दोष भी उन्होंने कभी अपने ऊपर नहीं आने दिया और इसे सीधे खड़े होने वाले लोगों की साजिश करार दिया। जितने सर्वज्ञ जी के नाखून घटते सचिवालय में गुमनाम शिकायतों की संख्या उतनी ही बढ़ जाती। उनके परिचय के दायरे में ऐसा कोई नहीं था जिसके खिलाफ उन्होंने गुमनाम लिफाफे न भेजे हों। मिठाई खिलाते-खिलाते कब वे स्वयं मधुमेह के शिकार बने उन्हें पता तक नहीं चल पाया। सारे जमाने का अपराधबोध उनके अपने रोजमर्रा के क्रियाकलापों पर छा गया जिसका इलाज होम्योपैथी के पास भी शायद नहीं था। बहरहाल दवा अब भी जारी है ।


Aug 12, 2009

इस ब्लॉग के साथ टंकण एवं अनुवाद उपकरण भी लगे हैं -

क्या आप जानते हैं -
इस ब्लॉग के साथ दाहिनी ओर लगे टंकण उपकरण द्वारा आप किसी भी भारतीय भाषा में टाइप (TYPE) कर सकते हैं । आप रोमन में टाइप करते जाइए ...स्पेस बार दबाते ही आप का शब्द आपके द्वारा चुनी गई भाषा /लिपि में बदल जाएगा। इस उपकरण की सहायता से आप अपने दोस्तों को उनकी भाषा में लिप्यांतरित मेल भेजकर चकित कर सकते हैं। ज़रा कोशिश तो कीजिए।

इसी प्रकार दाहिनी ओर एक अनुवाद उपकरण भी है जिससे आप हिंदी से अंग्रेज़ी तथा अंग्रेज़ी से हिंदी में निशुल्क अनुवाद प्राप्त कर सकते हैं । यह उपकरण विश्व की अन्य अनेक भाषाओं में/से भी अनुवाद की सुविधा देता है । इसे भी ज़रा परख कर तो देखें।

(ये दोनों उपकरण गूगल के हैं )

हिंदी दिवस पर परिचर्चा -


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"भारत में भारतीय भाषाएँ कब तक ?"
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क्या आप जानते हैं हमारे देश में वर्ष 1991 में तमिल बोलने वालों का प्रतिशत 6.32 था जो वर्ष 2001 में 5.91 रह गया । इस अवधि में मराठी बोलने वाले 7.45 प्रतिशत से घटकर 6.99 प्रतिशत रह गए । उर्दू बोलने वाले 5.18 से घटकर 5.01 प्रतिशत पर सिमट गए। इसी प्रकार बंगाली, तेलुगु , कन्नड़ , मलयालम, गुजराती उड़िया , असमिया बोलने वालों की संख्या में भी गिरावट आई । हमारी भाषाएँ हमारी संस्कृति से जुड़ी हैं ... क्या हमारी भाषाओं से पलायन हमारी संस्कृति और समाज के ढाँचे को प्रभावित नहीं कर रहा है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर आपको भी तलाशने हैं । हिंदी दिवस यानी 14 सितम्बर 2009 को हम आपके विचार बिना लाग-लपेट के इस ब्लॉग पर प्रकाशित करेंगे । आप अपने विचार यूनिकोड फॉण्ट में टाइप कर नीचे दिए पते पर मेल कर सकते हैं-

hindiforyou@gmail.com


-सह व्यवस्थापक

HINDIFORYOU अब आप अपनी लिपि में पढ़ें

अब आप इस ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री अपनी मातृभाषा की लिपि में भी पढ़ सकते हैं । बस आपको इतना भर करना है कि ब्लॉग में दाहिनी ओर सबसे ऊपर दिए गए बॉक्स में से किसी एक भाषा को चुनकर click कर दें

सी-डेक और राजभाषा विभाग के लीला पाठ्यक्रम

LILA courses of C-DAC and DOL
लीला पाठ्यक्रम उन सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत उपयोगी हैं जो कार्यालयीन हिंदी का औपचारिक प्रशिक्षण लेना चाहते हैं । ये पाठ्यक्रम CD वर्ज़न में भी उपलब्ध हैं किंतु यहाँ हम केवल इंटरनेट पर उपलब्ध लीला प्रबोध-प्रवीण -प्राज्ञ तक ही चर्चा सीमित रखना चाहेंगे । इन पाठ्यक्रमों की सबसे बड़ी विशेषता है भारतीय भाषाओं के माध्यम से हिंदी सीखने की सुविधा। प्रारंभ में पंजीकरण की प्रक्रिया थोड़ी जटिल लग सकती है किंतु उससे विचलित न हों । अपनी मातृभाषा को माध्यम चुने और Free Learning के विकल्प को चुने । ऐसा करने से आप पहले पाठ पर ही उलझे रहने से बचेंगे क्योंकि परीक्षा से सभी डरते हैं चाहे वे अध्यापक हों या छात्र... और नियंत्रित अधिगम में आपको किसी TEST को पास करने की मजबूरी तो रहेगी ही । If you have joined prabodh, praveen or pragya course of DOL and want to follow the TEXT lessons than click the link below and register yourself on line-

LILA - Hindi Prabodh, Praveen and Pragya

Aug 11, 2009

कबीर के दोहों एवं अन्य रचनाओं के लिए link

A link for KABIR's dohas and other poems
इस कड़ी से जुड़कर आप कबीर के दोहों एवं अन्य चुनिंदा रचनाओं का (अंग्रेज़ी अनुवाद सहित) आनंद ले सकते हैं। इतनी सुंदर व्याख्या चित्रात्मक अभिव्यक्ति के साथ बमुश्किल ही मिल पाती है -
(boloji.com के सौजन्य से )
Dohas
Love Songs
Mystic Songs

अक्षर अभ्यास के बाद A DOOR INTO HINDI से आगे बढ़ें

We hope, you have completed successfully Hindi alphabets writing, reading and pronouncing exercises . Now you may please try to proceed with the help of A DOOR INTO HINDI. Just click an old link given below-
http://www.ncsu.edu/project/hindi_lessons/lessons.html

Aug 10, 2009

राजभाषा हिंदी से संबंधित घटनाक्रम के लिए link..(श्री HDC को समर्पित)

राजभाषा हिंदी से संबंधित घटनाक्रम के बारे में link
(rajbhasha.gov.in के सौजन्य से )
घटनाक्रम
Chronology of Events

कड़ी से कड़ी-3 : हिंदी व्यंजन - ओष्ठ्य

हिंदी व्यंजन - ओष्ठ्य
click Pronunciation > Labial consonants >
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कुछ नायाब ग़ज़लों के लिए link (खड़गपुर से मिले पाठक जी के SMS को समर्पित)

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है / दुष्यंत कुमार

हो गई है पीर पर्वत / दुष्यंत कुमार

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये / दुष्यंत कुमार

क्या बताऊं कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया / वसीम बरेलवी

क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता / वसीम बरेलवी

आते आते मेरा नाम / वसीम बरेलवी